For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा - पर्यावरण-प्रेमी

"बधाई हो मिश्रा जी , हार्दिक बधाई आपको । कल के सारे अखबारों में आपकी न्यूज़ थी । सभी अखबारों ने बड़ी प्रमुखता से आपके "एण्टी-पॉलिथीन कैम्पेन " के बारे में छापा है । बहुत अच्छा काम कर रहे हैं आप पर्यावरण के लिए । वाकई पॉलिथीन बहुत खतरनाक है । इससे कई गायें भी काल के गाल में समा रही है ।"
" जी, गुप्ता जी ! मेरा मिशन है पॉलिथीन मुक्त पर्यावरण । चाहता हूँ सरकार इस पर पूरी तरह से बैन लगा दें । बस ! इसी में लगा हूँ । "
" देश को आप जैसे पर्यावरण बचाव योद्धाओं की ज़रूरत है ।"
" गुप्ता जी आपने बहुत बड़ी बात कह दी । मैं तो अदना-सा कार्यकर्ता हूँ ।" अभी इन दोनों का वार्तालाप चल ही रहा था कि दुकानदार बोला-"लीजिए , मिश्रा जी आपका सारा सामान ।" मिश्रा जी ने अपने नियमित दुकानदार के हाथों सामान लिया , गुप्ता जी से अनुमति चाही । दुकान की सीढ़ियाँ उतर ही रहे थे कि इतने में मिश्रा जी का चिंटू जो कि उनके साथ था बोला-" पापा , दुकानदार भय्या ने तो हमारा सारा सामान पॉलिथीन में पैक करके दिया है ।"
" चुप रे ! !" मिश्रा जी ने चिंटू को डाँटते हुए कहा ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 978

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on October 5, 2017 at 7:51am
आपकी टिप्पणी पाकर मेरा लेखन सार्थक हो गया आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी ।
Comment by Mohammed Arif on October 5, 2017 at 7:50am
आदरणीय शेखक्षशहज़ाद उस्मानी जी आदाब, आपकी सटीक-सारगर्भित और बकमाल समीक्षा पढ़कर धन्य हो गया । वाक ई आप जैसे निष्णात समीक्षक और ख़ासतौर से लघुकथा समीक्षक ओबीओ की शान है । हमें आप जैसे समीक्षक से बहुत कुछ सीखने को मिलता है । हार्दिक आभार आपका ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 5, 2017 at 6:28am
बहुत बढ़िया कटाक्ष/व्यंग्य। यहां पर तीन बातें उभर कर आती हैं :
१- व्यक्ति की कथनी और करनी सामान्य प्रवृत्ति के तौर पर। भाषण कुछ और कर्म कुछ, दिखाने के कर्म कुछ और दैनिक जीवन में यथार्थ में उसके विपरीत या उसकी उपेक्षा वाले कर्म या लापरवाही।
२- समाज सेवा या पर्यावरण संरक्षण सेवा में संलग्न लोग ऐसे हालात में फंसते हैं या जूझते हैं जहां पर्यावरण/समाज के विरुद्ध छोटी/बड़ी गतिविधियों में वे जाने-अनजाने लिप्त हो जाते हैं या ऐसे समझौते कर जाते हैैं या विवश कर दिये जाते हैैं। लेकिन लोग इसे भी 'कथनी और करनी' कह देते हैं। व्यवस्था या सिस्टम को दोषी नहीं मानते या मानते हुए हार स्वीकार कर लेते हैं, आवाज़ नहीं उठाते उनके खिलाफ।
३- बच्चे सब देख और समझ रहे हैं कि पढ़ाया/सिखाया/दिखाया/सुनाया क्या जाता है और व्यवस्था/सिस्टम/व्यवहार में क्या चल रहा है। आज के बच्चे इसी कारण भ्रमित/उलझे या पथभ्रष्ट भी हैं।
अंत में 'चुप रे!' सब कुछ बयान कर रहा है। इसके पहले मिश्रा जी की लापरवाही स्पष्ट हुई है; दुकान पर ही सजग पर्यावरण-प्रेमी ने पोलीथिन नोटिस कर आपत्ति क्यों नहीं जताई? लेखक ने समाज/सिस्टम/व्यवहार में खामियां उभारी हैं।
बहुत बढ़िया सार्थक प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब। शीर्षक तो और भी बेहतर हो ही सकते हैं। यह शीर्षक पहले से ही विषय वस्तु लक्ष्य स्पष्ट कर देता है।
Comment by नाथ सोनांचली on October 5, 2017 at 5:11am
आद0 आरिफ भाई जी सादर अभिवादन। समाज मे बहुत से ऐसे लोग है, जो करते कुछ और है और बोलते उसके विपरीत। आपने बढ़िया कथानक के साथ उम्दा लघुकथा कही। मुबारकबाद आपको
Comment by Mohammed Arif on October 4, 2017 at 9:23pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 4, 2017 at 8:05pm

हार्दिक बधाई आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।बच्चे मन के सच्चे। बेहतरीन लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service