For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ मिठास पाने को .....संतोष

फ़ाइलुन मफ़ाईलुन फाइलुन मफ़ाईलुन

कुछ मिठास पाने को तल्खियाँ ज़रूरी हैं
क़ुर्ब के लिए जैसे दूरियाँ ज़रूरी हैं

सिर्फ़ रोने धोने से दिल न उनका पिघलेगा
साथ अश्क बारी के सिसकियाँ ज़रूरी हैं

तैर कर तो दरया को पार कर नहीं सकते
इसके वास्ते यारो किश्तियाँ ज़रूरी हैं

देख सूखी धरती में फ़स्ल उग नहीं सकती
बारिशों के मौसम में बदलियाँ ज़रूरी हैं

जब मकां बनाओ तो ध्यान ये भी रख लेना
धूप के लिए कुछ तो खिड़कियाँ ज़रूरी हैं
#संतोष
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on November 24, 2017 at 4:24pm
शुक्रिया आदरणीय अफ़रोज़ साहब !!
Comment by santosh khirwadkar on November 24, 2017 at 4:23pm
धन्यवाद आदरणीय विजय जी !!!!
Comment by Afroz 'sahr' on November 23, 2017 at 4:27pm
आदरणीय संतोष जी इस रचना पर बहुत बहुत बधाई आपको, "तैर कर तो दरया को पार कर नहीं सकते" ये मिसरा " मोहमिल" है। देखिएगा, सादर,,
Comment by vijay nikore on November 23, 2017 at 11:28am

अच्छी गज़ल कही है। बधाई।

Comment by santosh khirwadkar on November 21, 2017 at 4:36pm

धन्यवाद आदरणीय  बृजेश कुमार जी !!!

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 21, 2017 at 1:01pm
बहुतखूब ग़ज़ल कही आदरणीय..बधाई
Comment by santosh khirwadkar on November 20, 2017 at 5:24pm
प्रणाम आदरणीय समर साहब , शुक्रिया !!
मैं पुनः देखता हूँ ...
Comment by santosh khirwadkar on November 20, 2017 at 2:35pm
आभार शहज़ाद साहब
Comment by santosh khirwadkar on November 20, 2017 at 2:33pm
शुक्रिया तस्दीक़ साहब ..मैं पुनः देखता हूँ ..
Comment by santosh khirwadkar on November 20, 2017 at 2:32pm
शुक्रिया आदरणीय आरिफ़ साहब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service