For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा -गठबंधन की गाँठें

“नेता जी ,अब तो मेरे बारे में कुछ सोचिये। कितना काम किया चुनाव में दिन-रात जागा। विपक्षी नेता के विरुद्ध धरना दिया ।झंडा ,पोस्टर ,बैनर सब ले घुमा ।अब आप जीत गए तो हमारा भी नोकरी का जुगाड़ कर दीजिये।”
कार्यकर्त्ता कई दिन चक्कर लगाने के बाद आज बोल ही पड़ा ।पंचायत चुनाव के बाद नेता जी उसकी बात ही न सुन रहे थे ।
नेता जी ....” हाँ हाँ ठीक है ।देखते हैं ..पहले विधानसभा चुनाव होने दो । बहुत बिजी है अभी ।”
नेता जी कुछ रुके ।आँखों को मीचते हुए बोले --
“अच्छा कुछ काम करो ।खाना ,भत्ता दे देंगे ।”
“क्या काम ? नेता जी ! बताइये .......।” कार्यकर्ता फिर से जाल में फँस रहा था ।
“राजेश्वर जी के लिए प्रचार करना है ।”
टाँगे फैलाते हुए नेता जी ने एक वाक्य उछाला ।
कार्यकर्त्ता भौचका था ।उसके गले में जैसे शब्द अटक गए थे ।गले से शब्दों को खींच कर बोला --
…”.ये कैसे हो सकता है ?वो तो आपके शत्रु थे। उनकी पार्टी के विरुद्ध तो आप पंचायत चुनाव लड़े थे ।हम उनकी पार्टी को बहुत गालियां दिए थे ।अब उनका प्रचार ?”
नेता जी ने मिची हुई आँखों को खोला ।आँखों से छलकती राजनीति शब्द बनकर बरसी:
“अरे बेवकूफ ! गधे रहोगे ! राजनीती में कोई स्थायी शत्रु नहीं होता समझे …। सत्ता के लिए कभी गालियों की रस्सी कसी जाती है तो कभी उसी रस्सी में गठबंधन की गाँठे भी लगानी पड़ती हैं ।”

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 808

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Tiwari on January 14, 2018 at 8:41pm

आदरणीया संगीता जी, कथा के मध्यम से एक सार्थक राजनैतिक व्यंग के लिए हार्दिक बधाई. सादर.  

Comment by Mahendra Kumar on January 14, 2018 at 1:32pm

वर्तमान राजनीति का यथार्थ. अच्छी लघुकथा कही है आपने आ. संगीता जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 13, 2018 at 2:01pm

बड़े ही बेहतरीन तरीके से अपने सत्य का यथार्थ चित्रण किया है आदरणीया..सादर

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 11, 2018 at 8:47pm

बहुत सही , सार्थक। यह अलग बात है कि कौटिल्य का यह अभिप्राय नहीं रहा होगा । बधाई, सुश्री आदरणीय संगीता जी , सादर।

Comment by डॉ संगीता गांधी on January 11, 2018 at 8:39pm

हार्दिक धन्यवाद मोहम्मद आरिफ जी ।हाँ एक स्थान पर अनुस्वार नहीं है और नोकर में मात्रा की गलती है ।गूगल हिंदी इनपुट कुछ मात्राएँ  नहीं होती ।फिर भी मैं सुधार का प्रयास करूँगी ।कोई और गलती हो तो इंगित कीजियेगा ।आभार ।

Comment by Mohammed Arif on January 11, 2018 at 8:31pm

आदरणीया संगीता गांधी जी आदाब,

                                 राजनीति में कोई ईमान-धरम नहीं होता । वह सबकुछ करवाने की क्षमता रखती है । बहुत ही सशक्त लघुकथा । वर्तनीगत ढेरों अशुद्धियाँ है, देखिएगा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by डॉ संगीता गांधी on January 11, 2018 at 7:20pm

हार्दिक धन्यवाद नीता जी ।

Comment by Nita Kasar on January 11, 2018 at 7:18pm

हकीकत की सुंदर बानगी बधाई सुंदर कथा के लिये आद० संगीता गांधी जी ।

Comment by डॉ संगीता गांधी on January 10, 2018 at 8:09pm
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय ।
Comment by Samar kabeer on January 10, 2018 at 5:41pm

मोहतरमा संगीता गाँधी जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।कि

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकर मुग्ध हूं। हार्दिक आभार आपका। मैने लौटते हुए…"
11 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। चित्र के अनुरूप सुंदर दोहे हुए है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। चित्र को साकार करते अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।  भाई अशोक…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार। छठे दोहे में सुधार…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र आधारित दोहा छंद टूटी झुग्गी बन रही, सबका लेकर साथ ।ये नजारा भला लगा, बिना भेद सब हाथ…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्र को साकार करती उत्तम दोहावली हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाई, आपकी प्रस्तुति ने आयोजन का समाँ एक प्रारम्भ से ही बाँध दिया है। अभिव्यक्ति में…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  दोहा छन्द * कोई  छत टिकती नहीं, बिना किसी आधार। इसीलिए मिलजुल सभी, छत को रहे…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र पर अच्छे दोहे रचे हैं आपने.किन्तु अधिकाँश दोहों…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"देती यह तस्वीर  है, हम को तो संदेशहोता है सहयोग से, उन्नत हर परिवेश।... सहयोग की भावना सभी…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"   आधे होवे काठ हम, आधे होवे फूस। कहियो मातादीन से, मत होना मायूस। इक दूजे का आसरा, हम…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्र को साकार करता बहुत मनभावन गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service