221, 2121, 1221, 212
आरोप ये गलत है कि पुष्पित नहीं हुआ।
जीवन सरोज खिल के हाँ सुरभित नहीं हुआ।
छल, साम, दाम, दण्ड, कुटिलता चरम पे थी,
ऐसे ही कर्ण रण में पराजित नहीं हुआ।
कैसा ये इन्क़लाब है, बदलाव कुछ नहीं,
अम्बर अभी तो रक्त से रंजित नहीं हुआ।
गिरकर संभल रहे हैं, गिरे जितनी बार हम,
साहस हमारा आज भी खण्डित नहीं हुआ।
क्या मुझको मिल गया है, मुझे क्या नहीं मिला,
मन में तो है विषाद, मैं चिंतित नहीं हुआ।
विचलित हुई सदा ही ये नारी, ये सच नहीं,
गौतम कभी अहिल्या सा शापित नहीं हुआ।
मौलिक/अप्रकाशित।
~बलराम धाकड़ ।
Comment
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय विनय कुमार जी।
सादर।
वाह, बहुत बढ़िया और प्रभावशाली ग़ज़ल कही है आपने आ बलराम जाखड़ जी, बधाईया क़ुबूल कीजिये
आदरणीय सौरभ सर, सादर अभिवादन और बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने ग़ज़ल में न केवल शिरक़त की बल्कि अपने अमूल्य सुझावों से भी अवगत करवाया। यक़ीनन आपके सुधार के बाद ग़ज़ल में जादूई बदलाव शिल्प ही नहीं, कथ्य के स्तर पर आ गया है। आपका ढेर सारा आभार और धन्यवाद।
सादर।
आदरणीय बलराम धाकड़ जी, आपकी ग़ज़ल का रंग और तदनुरूप प्रस्तुतीकरण रोचक भी है और स्वागतयोग्य भी. हार्दिक बधाइयाँ.
संप्रेषणीयता के निकष पर इस ग़ज़ल के कुछ मिसरे अवश्य और सधे होने थे ताकि भाषा, जो कि ग़ज़ल विधा का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण बिन्दु है, कुछ और व्याकरणसम्मत हो कर प्रयुक्त हुई दिखती.
अस्फुट-सा ही सही, एक प्रयास कर रहा हूँ.
जीवन सरोज खिल के भी सुरभित नहीं हुआ।
आरोप ये गलत है कि पुष्पित नहीं हुआ।
आरोप ये गलत है कि पुष्पित नहीं हुआ
जीवन-सरोज खिल के हाँ सुरभित नहीं हुआ।
छल, साम, दाम, दण्ड, कुटिलता से,भेद से,
ऐसे ही कर्ण रण में पराजित नहीं हुआ।
छल, साम, दाम, दण्ड, कुटिलता चरम पे थी
ऐसे ही कर्ण रण में पराजित नहीं हुआ।
कैसा ये इन्क़लाब है, बदलाव कुछ नहीं,
अम्बर अभी तो रक्त से रंजित नहीं हुआ।
कैसा ये इन्क़लाब है, बदलाव कुछ नहीं,
ये आसमां भी रक्त से रंजित नहीं हुआ।
विश्वास है, अन्यथा न लेते हुए आप इससे भी बेहतर प्रयास करेंगे.
हार्दिक बधाइयाँ और अशेष शुभकामनाएँ
आदरणीय लक्ष्मण जी, बहुत बहुत शुक्रिया।
सादर।
आ. भाई बलराम जी, बेहतरीन गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।
आदरणीय ब्रजेश जी, सुख़न नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया।
सादर।
जनाब राज़ साहब, आपको ग़ज़ल अच्छी लगी, मेरा लिखना सार्थक हुआ।
सादर।
जनाब समर कबीर साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरक़त और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
सादर।
क्या बात है क्या बात है आदरणीय..कायल हूँ मैं आपका...बेहतरीन
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