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आदरणीय लक्ष्मण जी, ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
आदरणीय लक्ष्मण जी, भौतिक दृष्टि से, भले ही हमारे सौर मण्डल में एक ही तारा सूर्य विद्यमान है किंतु आकाशगंगा में अनेक तारों का अस्तित्व है। भाव पक्ष की दृष्टि से, रौशनी के स्रोत अर्थात समाज में नैतिकता के कर्णधारों को न जाने क्या हुआ है कि संप्रति नैतिकता और अन्य सत्प्रवृत्तियों का मैलापन दृष्टिगोचर हो रहा है।
सादर।
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय जी।
सादर।
आदरणीय भाई बलराम धाकड़ साहब, आदाब. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ मुबारकबाद. सादर.
आ. भाई बलराम जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।
पहले मिसरे में एक वचन सूरज के लिए प्रयुक्त बहुवचन क्रिया खाँगाले के विषय में संशय है । मेरी शंका का समाधान करने की कृपा करें ।
आदरणीय बलराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.
ग़ज़ल में आपकी शिरक़त और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय महेंद्र कुमार जी।
सादर।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका, आदरणीय सुरेंद्र नाथ जी।
सादर।
ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय बलराम धाकड़ जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
आद0 बकराम धाकड़ जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार कीजिये
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