For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ८७

2212 1212 2212 12

आती नहीं है नींद क्यों आँखों को रात भर
हमने तो उनसे की थी बस दो टूक बात भर //१

दिल में न और ज़िंदगी की ख्व़ाहिशात भर
हस्ती है सबकी नफ़सियाती पुलसिरात भर //२

पढ़ ले तू मेरी आँख में जो है लिखा हुआ
गरचे किताबे दिल नहीं है काग़ज़ात भर //३

हर आदमी में मौत की ज़िंदा है एक लौ
तारीकियों की बज़्म ये रौशन है रात भर //४

दुनिया के एहतिशाम का नश्शा उतर गया
कासा-ए-दिल में ज़िंदगी आबे हयात भर //५

ग़ालिब की तर्ज़ पर तुझे लिखनी है ग़र ग़ज़ल
ख़ूने जिगर से राज़ तू अपनी दवात भर //६

~ राज़ नवादवी

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

नफ़सियाती- मनोविज्ञान से संबंधित; पुलसिरात- नरक का पुल जिसे पार कर स्वर्ग मिलता है; एहतिशाम- वैभव, शानो-शौक़त; क़ासा ए दिल- ह्रदय का भिक्षा पात्र; आबे हयात - अमृत;

Views: 1119

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on December 26, 2018 at 3:13pm

आदरणीय मुहम्मद अनिस शेख़ साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और ज़र्रानवाज़ी का दिल से शुक्रिया. आपकी मुहब्बत का ममनून हूँ. 

Comment by Samar kabeer on December 26, 2018 at 2:34pm

जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि:-

हस्ती है सबकी नफ़सियाती पुलसिरात भर'

इस मिसरे में 'पुलसिरात' क़ाफ़िया 'त' का नहीं "तोय" का है ।

Comment by Md. Anis arman on December 26, 2018 at 11:58am

ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद राज साहब, आपको पढ़ने मे मज़ा आता है। बाकी कुछ कमी होगी तो समर सर  बता पाएंगे  

Comment by राज़ नवादवी on December 25, 2018 at 4:48pm

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत साहब, आदाब. ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया. जनाब, मुझे बह्र की कुछ ख़ास जानकारी नहीं है, बस लिख भर देता हूँ. फिर ही ढूँढने की कोशिश करके बताता हूँ. मैं मुहम्मद मुस्तफ़ा खां मद्दाह और सज्जाद उस्मानी साहब के लुगात का इस्तेमाल करता हूँ, इसके अलावा और भी दीगर लुगात हैं, ऑनलाइन लुगात की भी मदद लेता हूँ. सादर. 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on December 25, 2018 at 2:32pm

लाजवाब , #राज नवादवी साहेब इस बह्र के बारे में जानकारी दीजिये, क्या नाम है ,मैंने पहली बार देखा इस बह्र पर लिखा हुआ /इस पर कोई गीत है तो  उसके बारे में भी बताएं | आप कौन  सी लुग़त इस्तेमाल करते हैं शब्दों का अर्थ देखने के लिए ? 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service