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आ० विजय भाई जी, इन सुंदर क्षणिकाओं के लिये आपको बहुत-बहुत बधाई ....सादर
लोग जितने नासमझ होगे
उतनी आप की बात मानेंगे।
लोग जितने टूटेंगे ,
आप उतने मजबूत होंगे।
आप जितनी रोटियां बाटेंगे ,
लोग उतने आपके होंगे।...... ये ही हो रहा है आज ,सहूलियतें और तुष्टिकरण से लोगों को कमज़ोर बनाया जा रहा है . आपकी गहन सोच से पगी है ये रचना , हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय सादर
आदरणीय विजय सर ..सभी रचनाएँ बेहद भाई. व्लोग जितने नासमझ होगे
उतनी आप की बात मानेंगे।
लोग जितने टूटेंगे ,
आप उतने मजबूत होंगे।
आप जितनी रोटियां बाटेंगे ,
लोग उतने आपके होंगे। ये पंक्तियाँ तो लाजबाब है इस रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर प्रणाम के साथ
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति , बधाई आप को | सादर |
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