कश्मीर अभी ज़िंदा है आँसू गैस में
डल झील की बर्फ में फैले ख़ून में
जवान बेटे की मौत पर दहाड़े मारती माँ में
ईद की खुशियों में शामिल होते मातम में
जवान बेटों के अगवा होने में
आतंकियों के दुष्कर्म में
कश्मीर अभी ज़िंदा है सीज़फायर उल्लंघन में
बर्फ की वादियों में ख़ून के कोहरे में
डरी सहमी , सिसकती रंगीन कालीनों में
गलियों , चौराहों से रोज़ गुज़रते जनाज़ों में
बंद खिड़की , दरवाज़ों से झाँकते मासूमों में
देश विरोधी तकरीरों में
कश्मीर अभी ज़िंदा है जलती सैन्य गाड़ियों में
अलगाववादी नेताओं में
बंद पड़े स्कूलों और कॉलेजों में
गोलियों से छलनी दीवारों में
खौलते हुए ख़ून से सने कफ़न में
हिंसा और ख़ून से नहाए लाल चौक में
कश्मीर अभी ज़िंदा है धमकी भरी बर्फीली हवाओं में
जेहाद की तालीम में
ख़ून की राजधानी पुंछ और नौशेरा सेक्टर में
विस्थापित पण्डितों की आँखों में
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Comment
कश्मीर पर आपकी दोनों रचनाएँ अच्छी बनी हैं।हार्दिक बधाई।
आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर। एक छोटा आशियाना बनाने में ऐसा व्यस्त हुआ कि समय ही नहीं निकल पा रहा था। पर अब पुनः सक्रिय हो गया हूँ।
हार्दिक आभार आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी । आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी से लेखन सार्थक हो गया ।
लंबे अंतराल के बाद पटल पर हुज़ूर का आना.हुआ ।
बहुत-बहुत शुक्रिया आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब । आपकी टिप्पणी से लेखन सार्थक हो गया ।
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,कश्मीर पर आपकी ये रचना भी प्रभावी हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक आभार आदरणीय बृज कुमार जी ।
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।
आदरणीय आरिफ जी बहुत ही सही चित्रण किया है आपने.. ये तय है पीढियां गुजर जाएँगी लेकिन कश्मीर था कश्मीर है और सदैव रहेगा..
आ. भाई आरिफ जी, कश्मीर का दर्द बयाँ करती और टीस जगाती रचना के लिए हार्दिक बधाई ।
कश्मीर पर इतना ही कहूँगा-
मन्सा किसकी है भला, हो सुख में कश्मीर
केवल कुर्सी पर सभी, साधे हैं नित तीर।।
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