For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

श्रमिकों के जीवन पर आधारित मेरे 21 दोहे

कहीं बनाते हैं सड़क, कहीं तोड़ते शैल

करते श्रम वे रात दिन, बन कोल्हू के बैल।1।

नाले देते गन्ध हैं, उसमें इनकी पैठ

हवा प्रवेश न कर सके, पर ये जाएँ बैठ।2।

काम असम्भव बोलना, सम्भव नहीं जनाब

पलक झपकते शैल को, दें मुट्ठी में दाब।3।

चना चबेना साथ ले, थोड़ा और पिसान

निकलें वे परदेश को, पाले कुछ अरमान।4।

सुबह निकलते काम पर, घर से कोसों दूर

भूमि शयन हो शाम को, होकर श्रम से चूर।5।

ईंट जोड़ चूल्हा बनें, सुलगे जिसमें आग

तवा बना फिर फावड़ा, रोटी जल जल काग।6।

मिटे न खुद की भूख पर, नहीं प्रेम का ह्रास

दें रोटी कुछ श्वान को, बैठा था जो पास।7।

जाड़ा हो या ग्रीष्म हो, या फिर हो बरसात

नील गगन के ही तले, सदा कटे दिन रात।8।

आगे-आगे वे चलें, पीछे-पीछे रोग

साथ गरीबी भूख अरु, विपदाओं का योग।9।

धूप छाँव से बेखबर, श्रम करते भरपूर 

टूटी चप्पल पाँव में, पर जाते अति दूर।10।

बूढ़ी आंँखें ताकतीं, हरपल उनकी राह

छोटू भी है आस में, करके द्वार निगाह।11।

बचपन में पचपन दिखें, यौवन बचा न शेष

क्षुधा खड़ी ले दीनता, भड़के मन में क्लेश।12।

ढाबा रेस्टोरेंट या, होटल फाइव स्टार

गिरवी बचपन हैं वहाँ, देखें दुनिया यार।13।

मालिक निशदिन मारता, बर्बरता के साथ

बरतन धोते सड़ गये, उनके दोनों हाथ।14।

शर्म हया कैसे बचे, श्रमिक अगर जो नार 

नर प्रधानता हर जगह, शौचालय की मार।15।

पति उसका बीमार जो, फिर ऐसे हालात

सिर पर उसके ईंट हो, पीठ बँधा नवजात।16।

वह पत्थर है तोड़ती, मिटा सभी अब चाह

ज्येष्ठ दुपहरी धूप में, बच्चा रहा कराह।17।

गिद्ध भेड़िये की नजर, फ़टे वसन के पार

शिशु तरसे स्तनपान को, पर माता लाचार।18।

मात पिता दोनों श्रमिक, हालत से मजबूर

बिटिया हुई जवान अब, गिद्ध भेड़िये क्रूर।19।

बुरी स्वास्थ्य सेवा यहाँ, मन को करें निराश

श्रमिक अगर भर्ती हुआ, बाहर निकले लाश।20।

कहने को सरकार तो, करती बहुत उपाय

पर बातें सब कागजी, वंचित वो असहाय।21।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 942

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on May 8, 2018 at 8:14am

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। दोहोंकी प्रशंसा से उत्साहवर्धन हुआ है। बहुत बहुत आभार आपका बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए।

Comment by नाथ सोनांचली on May 8, 2018 at 8:13am

आद0 नीलेश भाई जी सादर अभिवादन। दोहे आपको पसन्द आये, लिखना सार्थक हुआ। आभार आपका

Comment by Mohammed Arif on May 8, 2018 at 8:02am

आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,

                                श्रमिकों की गरिमा-गौरव , दुर्दशा , आशा-निराशा को रेखांकित करते थोकबंद दोहों के लिए हार्दिक शुभेक्षाएँ ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 7, 2018 at 8:54pm

आ. सुरेन्द्रनाथ जी 
अच्छे दोहे हुए हैं...
इस प्रस्तुति के लिए बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service