For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल / बह्र -22/22/22/22

जीने में अब मजा कहाँ है,
खुशियों का सिलसिला कहाँ है ।
बारिश कोसों दूर हुई अब
जल का बादल गया कहाँ है ।
जो हैं हिंसा के सौदागर
उनको मिलती सज़ा कहाँ है ।
रहबर करते वादे बेहद ,
कोई पूरा हुआ कहाँ है ।
माँ है उनकी जीवित अब तक
घर का हिस्सा हुआ कहाँ है
भूल चुका है वो तो ये भी,
भाई उसका बसा कहाँ है ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 688

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on July 14, 2017 at 12:04am
आदरणीय वीजय निकोर जी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया । लेखन सार्थक हुआ ।
Comment by vijay nikore on July 13, 2017 at 7:44pm

आपकी गज़ल पढ़ कर दिल खुश हुआ... बहुत-बहुत बधाई, आरिफ़ भाई

Comment by Mohammed Arif on July 12, 2017 at 10:20pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी । सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया ।
Comment by Mahendra Kumar on July 12, 2017 at 7:24pm

आ. मोहम्मद आरिफ़ जी, बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Mohammed Arif on July 11, 2017 at 6:24pm
आदरणीय रवि शुक्ला जी ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया देने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत-बहुत आभार । ओबीओ के मंच पर मैं एक पाठक की हैसियत से ही नहीं अपितु अपनी रचनाधर्मिता का भी परिचय देता हूँ ।
Comment by Mohammed Arif on July 11, 2017 at 6:19pm
आदरणीय बृजेश कुमार जी ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया देने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत-बहुत आभार ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 11, 2017 at 3:35pm
बड़ी ही खूबसूरत ग़ज़ल कही आदरणीय आरिफ..सादर
Comment by Ravi Shukla on July 11, 2017 at 2:42pm

आदरणीय मोहम्‍मद आरिफ साहब आपने अच्‍छी गजल कही बधाई कुबूल करे  । एक पाठक होने से आगे बढ़ कर एक शाइर के रूप में भी आपकी पहचान बन रही है अच्‍छा है । सादर

Comment by Mohammed Arif on July 11, 2017 at 12:18pm
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ग़ज़ल की सराहना और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया । सुधार कर लिया है ।
Comment by Samar kabeer on July 10, 2017 at 2:44pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
चौथे शैर के ऊला मिसरे में 'वादें' को "वादे" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service