For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धारावाहिक कहानी :- मिशन इज ओवर (अंक-5--------अंतिम अंक )

मिशन इज ओवर (कहानी )

लेखक -- सतीश मापतपुरी

अंक 1 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

अंक 2 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

अंक ३ पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

अंक 4 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

अंक - 5 (अंतिम अंक )

डॉक्टर सुनीता के आ जाने से संस्था पहले से अधिक सार्थक एवं सकारात्मक ढंग से काम करने लगी और परिणाम भी नज़र आने लगा I रामलाल को अपनी भूल का एहसास हुआ और वह अपने छोटे भाई श्यामलाल को ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर ले गया I रामलाल को ऐसा करते देख कई लोग अपने परिजनों को अपने साथ ले गए I एड्स के साथ जी रहे लोगों के पुर्नवास की दिशा में संस्था के बढ़ते कदम से रहमत अली गद्गद थे I

           विकास अब संस्था के काम में पहले की तरह सक्रिय नहीं हो पा रहा था, तुरंत उसे थकान महसूस होने लगती थी I रहमत अली से अब और अपनी बीमारी छिपाना उसे उचित नहीं लगा I जब विकास रहमत अली को अपनी बीमारी के बारे में बताया तो वह सन्न रह गए, कुछ पल हा किये फटी-फटी नज़रों से वह विकास को देखते रहे I विकास के लाख मना करने के बावजूद रहमत अली उसे डाँ.सुनीता के पास ले गए I विकास को बाहर बिठा कर रहमत अली अकेले ही सुनीता से मिलकर उसे विकास के बारे में बताया I विकास की बीमारी की बात सुनकर सुनीता को महसूस हुआ कि उसके कानों के पास बम सदृश धमाका हुआ है, वह बेजान पावों पर उठ खड़ी हुयी और बिना कुछ बोले अंदर चली गयी I सुनीता का यह रवैया रहमत अली को नागवार लगा I जब सुनीता वापस लौटी तो उसकी आँखें छोटी और लाल थीं I सुनीता के इशारे पर रहमत अली विकास को उसके पास ले आया,सुनीता पलकें उठाकर विकास को देखा-यह क्या ?...........उसकी बोलती आँखें खामोश हो चुकीं थीं और उसने दूसरे ही पल पलकें झुका ली I डाँ.सुनीता ने विकास का कई तरह से चेकअप किया I रहमत अली की नज़रें सुनीता के चेहरे पर ही टिकी हुयी थीं और चेकअप के दौरान सुनीता के चेहरे पर आ-जा रहे भाव को देखकर रहमत का दिल बैठा जा रहा था I चेकअप करने के बाद सुनीता कुछ पल के लिए खामोश हो गयी, उसकी आँखें भर चुकी थीं I............. क्षीण आवाज में सुनीता ने विकास से कहा- 'योर मिशन  इज ओवर ' और फिर वह झटके से उठकर भीतर चली गयी I

                                                               समाप्त

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 5, 2011 at 11:30pm

बहुत अच्छी कहानी लिखी आपने !बहुत बहुत बधाई आपको !  किसी भी परिस्थिति में इंसान को हार नहीं माननी चाहिए विकट से विकट स्थिति में भी इंसान को जीने के लिए कोई न कोई मिशन मिल ही जाता है ! :-)

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on August 17, 2011 at 12:19pm

waise kuchh bhi ho aapki kahani ka kathanak bahut hi khubsoorat aur jordaar hai ........bahut bahut badhai 

           aids jaise bhayanak bimari pe aapke dwara rachit kahani ko padkar achha laga ....ek baar punah badhai.....

Comment by satish mapatpuri on August 17, 2011 at 11:38am
सराहना के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद गणेशजी. आपने टिपण्णी के क्रम में जो भी सुझाव दिया है वह निःसंदेह मान्य है.  

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 17, 2011 at 10:04am

सतीश भईया, आज जो मैंने आपकी प्रस्तुत कहानी अंक १ से पढ़ना प्रारंभ किया तो मिशन इज ओवर कर के ही दम लिया, कहानी सधी और कथ्य जोरदार लगा, कहानी को और विस्तृत किया जा सकता है, नायक को एड्स रोग लगने के कारण को भी बताया जा सकता है, नायक को ऍम ए का विद्यार्थी न कह कर मेडिकल स्टुडेंट बताया जाता तो नायक और सुनीता की दोस्ती प्राकृतिक लगती |

कुल मिलाकर एक खुबसूरत कहानी , ऐसा लगा की कोई टी वी सिरिअल देख रहे हो | बधाई आपको |

Comment by satish mapatpuri on August 16, 2011 at 12:40am

टिपण्णी के लिए धन्यवाद गुरूजी.

Comment by Rash Bihari Ravi on August 15, 2011 at 8:31pm

bhagwan aisa din kisi ko na dikhaye

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
22 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service