प्यार-एकता की खुश्बू से महके चमन हमारा I
सारी दुनिया में सबसे आगे हो वतन हमारा I
कुर्बानी देकर पायी है आजादी की दौलत I
जाति-धर्म के झगड़े छोड़ो-छोड़ो बैर और नफ़रत I
देश के टुकड़े करने को, दुश्मन ने जाल पसारा है I
नींद से जागो, आज हिमालय ने हमको ललकारा है I
हिन्दू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई,एक ही घर के पाये हैं I
विद्यापति,नानक, कबीर, यहाँ गीत प्यार के गाये हैं I
तुलसी ,मीरा और मुहम्मद, ज्ञान-मशाल जलाये हैं I
गौतम,अकबर और अशोक कभी, इस धरती पर आये हैं I
याद करो तारीखे वतन, जो हर मुल्कों से न्यारा है I
नींद से जागो, आज हिमालय ने हमको ललकारा है I
मर्द - मर्द है, नारी भी यहाँ खड़ग उठाया करती है I
लक्ष्मी-रजिया ,चाँद-चेनम्मा, इंदिरा की ये धरती है I
शिवा-प्रताप की अमर कहानी, हवा सुनाया करती है I
बुलबुल भगत-आजाद की गाथा,गाते हुए चहकती है I
हम भारत के वासी हैं, फौलादी जिगर हमारा है I
नींद से जागो, आज हिमालय ने हमको ललकारा है I
Comment
बहुत -बहुत धन्यवाद मैडम. आपकी सराहना एक मायेने रखती है. जश्ने आज़ादी मुबारक.
सतीश जी, देश भक्ति पर इतनी सुंदर रचना प्रस्तुत करने लिये आपको बधाई व स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें.
''धरती है हम सबकी माता, श्रम से इसे सजायेंगे I
बंटने देंगे नहीं इसे,इसलिए भले कट जाएंगे I
भारत माँ तेरा यश निर्मल , दाग नहीं लगने देंगे I
तेरा मस्तक वीर हिमालय, कभी नहीं झुकने देंगे I
है अखण्ड अपना भारत, मंजूर नहीं बंटवारा है I''
आपको भी सर
जश्नेआज़ादी की मुबारकबाद ..
सराहना के धन्यवाद गणेश जी, आपको भी जश्ने आज़ादी की हार्दिक शुभकामना.
मर्द - मर्द है, नारी भी यहाँ खड़ग उठाया करती है I
लक्ष्मी-रजिया ,चाँद-चेनम्मा, इंदिरा की ये धरती है I
शिवा-प्रताप की अमर कहानी, हवा सुनाया करती है I
बुलबुल भगत-आजाद की गाथा,गाते हुए चहकती है I
सतीश भईया जबाब नहीं है आपका, बहुत ही खुबसूरत देशभक्ति रचना दिए है आप | बहुत बहुत बधाई और स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामना स्वीकार करें |
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