For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डूब गया कल सूरज

डूब गया कल सूरज

कल ही तो था जो आई थी तुम

बारिश के मौसम की पहली सुगन्ध बनी

प्यार की नई सुबह बन कर आई थी तुम

मेरे आँगन में नई कली-सी मुस्कराई थी तुम

याद है मुझको वसन्त रजनी में

कल ही तो था जो करी थी आँखों से बातें

छलक-छलक रहा था प्राणों में प्यार

विकसित हुआ रोम-रोम में अनंत उल्लास 

परिपूर्ण हुई थी परस्पर कोई गहरी पहचान

सपने-सा लगा था मुझको वह बाहु-बन्धन

पुलकित था प्राणों का कण-कण

कि तुम्हारे पतले प्यारे ओठों का

खुमार भरी तुम्हारी उनींदी पलकों का

मुझको मधुरिम पहला प्यार मिला

कहा था तुमने, प्यार की कसम

प्यार में कभी न बदलोगी तुम

कल की बातें, वह कल की कसम

स्नेह की वह रजनीगंधा-सी सुगन्ध

कल की थी, कल ही के साथ गई

तिर आई है चुपके से

अचानक अनजाने उर की पीड़ा

मधु-पराग-सा कैसा

क्षणिक यह उल्लास था मेरा

मूक हुई मेरी वाणी की स्वर-धारा

जिन ओठों को सींचा था तुमने ओठों की सिहरन से

रह गए वह अब अवाक खुले के खुले

स्वाती की बूँद की आस लिए, ...  न आई वह बूँद

न उनको फिर तुम्हारी पलकों का प्यार मिला

पीड़ा से हुआ यह मेरा पहला परिचय

प्यार को कैसा यह कसकन का उपहार मिला

होती यदि तुम पास, प्रिय, तो पूछता मैं यह प्रश्न तुमसे

जाना था जल्दी तो इतनी उतावली पास आई ही क्यूँ

स्नेह की सोम्य छवि दिखा कर पलक झपकते ही 

प्यार पर मेरे अपने प्यार की मुहर लगाई क्यूँ ?

किरणों की किरणों से प्यार की बात

अब कल की पुरानी है फिर सही

किरणों को समेट कर दूर कहीं पर

डूब गया सूरज जाने किस भार से

प्यार की अब कोई नई सुबह न होगी

आँगन में होगी अब न कोई वासन्ती बयार

                    -------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 500

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on February 17, 2020 at 7:02pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, प्रिय मित्र लक्ष्मण जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2020 at 6:31pm

आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन । अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई । 

Comment by vijay nikore on February 17, 2020 at 1:10pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, प्रिय भाई समर कबीर जी।

Comment by Samar kabeer on February 16, 2020 at 8:39pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब, हमेशा की तरह एक अच्छी रचना पेश की आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
yesterday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service