For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गर बढ़ा असर किसी भी रोग के इ'ताब का(८८ )

( 212 1212 1212 1212 )

गर बढ़ा असर किसी भी रोग के इ'ताब का

है पलटना तय तुरंत ज़िंदगी के बाब का

**

जिन्न एक सैंकड़ों हयात क़त्ल कर रहा

इंतज़ार है ख़ुदा सदाओं के जवाब का

**

हसरतें न दिल की हों दिमाग़ पर कभी सवार

इख़्तियार हो नहीं लगाम पर रिकाब का

**

बैठ कर ये सोचना हुज़ूर इतमिनान से

क्या किया है हश्र प्यार के हसीन ख़्वाब का

**

सोच अम्न-ओ-चैन की रहे हर एक दिल में गर

देखना पड़े न रुख़ हमें किसी अज़ाब का

**

इख़्तियार आपका है खू-ए-मय पे लाज़िमी

तिश्नगी की हद बढ़े तो जुर्म क्या शराब का

**

ज़िंदगी का कारवाँ बशर रुके न जूँ कभी

ख़ौफ़-ए-अब्र से रुके सफ़र न आफ़ताब का

**

तार छिन्न भिन्न हों कि हों नहीं कसे हुए

बेसुरा बजे अगर तो दोष क्या रबाब का

**

छोड़ कर रह-ए-गुनाह ख़ूबतर मिला सुकूँ

है गुमान आज भी 'तुरंत ' इस निसाब का

**

गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |

मौलिक व अप्रकाशित

शब्दार्थ -इ'ताब =प्रकोप , बाब =अनुच्छेद ,

अज़ाब=यातना , खू-ए-मय=शराब पीने की आदत ,

लाज़िमी=ज़रूरी , निसाब=पूंजी, सरमाया

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 22, 2020 at 3:43pm

आदरणीय अमीरुद्दीन खा़न "अमीर साहेब , खाकसार का कलाम पसन्द करने और हौसला आफजाई का बेहद शुक्रिया | सबसे पहले तो आपसे निवेदन है कि मेरी रचना पर कमेंट करते समय माज़िरत लफ्ज़ का प्रयोग न करें |  

  हसरतें न दिल की हों दिमाग़ पर कभी सवार    और

मिसरा        सोच अम्न-ओ-चैन की रहे हर एक दिल में गर   बह्र में नहीं हैं। ( मेरी समझ में तो बह्र में ही है ,कृपया तक़्तीअ करके बताएं कहाँ गड़बड़ है , अगर समय हो तो ? 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on April 22, 2020 at 3:11pm

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत जी, आदाब।

अच्छी ग़ज़ल कही है आपने, बधाई स्वीकार करें।

शेअ'र         इख़्तियार आपका है खू-ए-मय पे लाज़िमी

                 तिश्नगी की हद बढ़े तो जुर्म क्या शराब का.      लाजवाब है। 

मआ़ज़रत के साथ कहना है कि... 

मिसरा        हसरतें न दिल की हों दिमाग़ पर कभी सवार    और

मिसरा        सोच अम्न-ओ-चैन की रहे हर एक दिल में गर   बह्र में नहीं हैं। देखियेगा। सादर। 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 21, 2020 at 5:54pm

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी , रचना पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन के लिए आभार 

Comment by TEJ VEER SINGH on April 21, 2020 at 5:49pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी जी। बेहतरीन गज़ल।

सोच अम्न-ओ-चैन की रहे हर एक दिल में गर

देखना पड़े न रुख़ हमें किसी अज़ाब का

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service