For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उन गलियों को छोड़ दिया

उन राहों से मुँह मोड़ लिया

अपनी यारी के किस्से जहां

आज भी गूंजा कराती है

 

अब बची रही कुछ खास नहीं

उन उम्मीदों की प्यास नहीं

तेरे घर के चौबारे पर अब भी

आवाज़ जो गूंजा करती है

 

वो जुते  में चिरकुट रखना

पीछे से यूँ पेपर तकना

हिंदी वाली मिस हमेशा

याद अभी भी करती है

 

वो रातों को पढ़ने जाना

एक दूजे के घर चढ़ आना

किताबे पिली पन्नी के अब भी

हर रात वही पर रहती है

 

वो सिगरेट पीना साथ में

दारू की बोतल हाथ में

संग में जो पटाई थी जो

वो भाभी पूछा करती है

 

हर लड़की को तकते रहना

ठंडी ठंडी आहें भरना

शर्मा के बेटी गौरी अब भी

गाली बकती  रहती है

 

कालेज का वो बंक करना

पहले शो में हर पिक्चर जाना

बालकोनी की वो पहली सीट

फ़रियाद हमेशा करती है

 

वो मोमो खाना उधारी में

ग़ुम होना अपनी बारी में

चटनी तीखी वाली अब भी

चटकार हमेशा लेती है

 

फिर तेरा यूं चले जाना

हफ्तों तक खत नहीं आना

चिट्ठी की रहे अब भी

मेरी आँखे देखा करती है

 

साथ जो अपना छूट गया

फिर सबसे नाता टूट गया

हर आँख में तेरी आँखों को

मेरी नज़रे ढूँढा करती है

 

मैं खड़ा रहा तू चला गया

मैं पलटा और तू पलट गया

मुड़ जाने की चोट हमको

अब तक कचोटा करती है

 

कई यार तूने बना डाले

यादें सभी मिटा डाले

एक दोस्त की कमी मगर

हमे अब भी खलती रहती है

"मौलिक व अप्रकाशित"

अमन सिन्हा 

Views: 389

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on May 4, 2020 at 11:42am

जनाब अमन सिंहा जी आदाब,रचना का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'अपनी यारी के किस्से जहां

आज भी गूंजा कराती है'

इस पंक्ति में 'क़िस्से' शब्द पुल्लिंग है इसलिए 'गूंजा करते हैं' लिखना उचित होगा ।

शेष जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी बता ही चुके हैं ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 3, 2020 at 7:35pm

आदरणीय अमन सिन्हा जी आंशिक तंकण त्रुटियाँ छोड़ दिया जाय तो भाव मार्मिक हैं बधाई हो

Comment by नाथ सोनांचली on May 3, 2020 at 7:07pm

आद0 अमन सिन्हा जी सादर अभिवादन। हर व्यक्ति कभी न कभी शुरुआत अवश्य करता है,, चूँकि इस मंच की यह परम्परा है कि त्रुटियों की ओर इंगित किया जाए तो हमने किया है। आप इस मंच पर बहुत से लेख हैं जिन्हें पढ़े तो शिल्पगत प्रवीण होते जाएंगे। कविता भाव सम्प्रेषण के साथ अगर शिल्पगत न हो तो गेयता बाधित होती है। सादर

Comment by AMAN SINHA on May 3, 2020 at 6:38pm

महानुभाव,

आपकी समीक्षा के लिए धन्यवाद, आपको विदित हो की मैं कोई पेशेवर लेखक नहीं हूँ। अभी-अभी लिखना शुरू किया है। प्रयास करूंगा की ऐसी त्रुटियों से खुद को बचा सकूँ। 

धन्यवाद 

Comment by नाथ सोनांचली on May 3, 2020 at 11:56am

आद0 अमन सिन्हा जी सादर अभिवादन। गूँजा कराती है?? क्या यह सही है। गूँजा करती है रखेंगे तो उचित होगा।

अब बची रही कुछ ख़ास नहीं, 

मुझे यह भी सही नहीं लग रहा

अब बचा रहा कुछ खास नहीं, ऐसा करें तो

जुते की जगह जूते होना चाहिए

देखियेगा,, इस रचना में मुझे न कोई शिल्प नजर आया और नही समान मात्रा भार। टंकण त्रुटियां कई जगह हैं। देखियेगा। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 177 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |इस बार का…See More
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . होली

दोहा पंचक. . . . . होलीअलहड़ यौवन रंग में, ऐसा डूबा आज ।मनचलों की टोलियाँ, खूब करें आवाज ।।हमजोली के…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहे -रिश्ता

सब को लगता व्यर्थ है, अर्थ बिना संसार।रिश्तों तक को बेचता, इस कारण बाजार।।*वह रिश्ते ही सच  कहूँ,…See More
19 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आदरणीय अखिलेश से सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 165

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ चौसठवाँ आयोजन है।.…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आदरणीय सुशील जी, आदरणीय भाईजी सादर गर्भित कुंडलियां के लिए हार्दिक बधाई  लो  जीजा…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
" आदरणीय लक्ष्मण भाईजी प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी ंसतरंगी होली पर सुंदर दोहावली के लिए हार्दिक बधाई"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं, हार्दिक बधाई।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service