उन गलियों को छोड़ दिया
उन राहों से मुँह मोड़ लिया
अपनी यारी के किस्से जहां
आज भी गूंजा कराती है
अब बची रही कुछ खास नहीं
उन उम्मीदों की प्यास नहीं
तेरे घर के चौबारे पर अब भी
आवाज़ जो गूंजा करती है
वो जुते में चिरकुट रखना
पीछे से यूँ पेपर तकना
हिंदी वाली मिस हमेशा
याद अभी भी करती है
वो रातों को पढ़ने जाना
एक दूजे के घर चढ़ आना
किताबे पिली पन्नी के अब भी
हर रात वही पर रहती है
वो सिगरेट पीना साथ में
दारू की बोतल हाथ में
संग में जो पटाई थी जो
वो भाभी पूछा करती है
हर लड़की को तकते रहना
ठंडी ठंडी आहें भरना
शर्मा के बेटी गौरी अब भी
गाली बकती रहती है
कालेज का वो बंक करना
पहले शो में हर पिक्चर जाना
बालकोनी की वो पहली सीट
फ़रियाद हमेशा करती है
वो मोमो खाना उधारी में
ग़ुम होना अपनी बारी में
चटनी तीखी वाली अब भी
चटकार हमेशा लेती है
फिर तेरा यूं चले जाना
हफ्तों तक खत नहीं आना
चिट्ठी की रहे अब भी
मेरी आँखे देखा करती है
साथ जो अपना छूट गया
फिर सबसे नाता टूट गया
हर आँख में तेरी आँखों को
मेरी नज़रे ढूँढा करती है
मैं खड़ा रहा तू चला गया
मैं पलटा और तू पलट गया
मुड़ जाने की चोट हमको
अब तक कचोटा करती है
कई यार तूने बना डाले
यादें सभी मिटा डाले
एक दोस्त की कमी मगर
हमे अब भी खलती रहती है
"मौलिक व अप्रकाशित"
अमन सिन्हा
Comment
जनाब अमन सिंहा जी आदाब,रचना का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
'अपनी यारी के किस्से जहां
आज भी गूंजा कराती है'
इस पंक्ति में 'क़िस्से' शब्द पुल्लिंग है इसलिए 'गूंजा करते हैं' लिखना उचित होगा ।
शेष जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी बता ही चुके हैं ।
आदरणीय अमन सिन्हा जी आंशिक तंकण त्रुटियाँ छोड़ दिया जाय तो भाव मार्मिक हैं बधाई हो
आद0 अमन सिन्हा जी सादर अभिवादन। हर व्यक्ति कभी न कभी शुरुआत अवश्य करता है,, चूँकि इस मंच की यह परम्परा है कि त्रुटियों की ओर इंगित किया जाए तो हमने किया है। आप इस मंच पर बहुत से लेख हैं जिन्हें पढ़े तो शिल्पगत प्रवीण होते जाएंगे। कविता भाव सम्प्रेषण के साथ अगर शिल्पगत न हो तो गेयता बाधित होती है। सादर
महानुभाव,
आपकी समीक्षा के लिए धन्यवाद, आपको विदित हो की मैं कोई पेशेवर लेखक नहीं हूँ। अभी-अभी लिखना शुरू किया है। प्रयास करूंगा की ऐसी त्रुटियों से खुद को बचा सकूँ।
धन्यवाद
आद0 अमन सिन्हा जी सादर अभिवादन। गूँजा कराती है?? क्या यह सही है। गूँजा करती है रखेंगे तो उचित होगा।
अब बची रही कुछ ख़ास नहीं,
मुझे यह भी सही नहीं लग रहा
अब बचा रहा कुछ खास नहीं, ऐसा करें तो
जुते की जगह जूते होना चाहिए
देखियेगा,, इस रचना में मुझे न कोई शिल्प नजर आया और नही समान मात्रा भार। टंकण त्रुटियां कई जगह हैं। देखियेगा। सादर
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