आखिर खुल गया ताला
होगा अब देश मतवाला
पुराने जमाने की बात थी
धंधा कहते थे, उसे काला
गरीब रोटी को रोता था
किसने ये गलत कह डाला
हस्पताल खोलना क्यूँ है
जब हाथ हो सबके प्याला
किसे पढ़ना है बताओ तो
जब विषय ही बदल डाला
दूरी की चिंता कौन करे
धज्जी उसकी उड़ा डाला
अब इकोनॉमी चमकेगी
कोरोना तेरा मुंह काला !!
Comment
इस हौसला बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी
हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी ।बहुत बढ़िया गीत।
हस्पताल खोलना क्यूँ है
जब हाथ हो सबके प्याला
किसे पढ़ना है बताओ तो
जब विषय ही बदल डाला
इस हौसला बढ़ाती टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब
इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी
आ. विनय जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी कविता है,बधाई स्वीकार करें ।
इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी
आद0 विनय जी सादर अभिवादन। अब इकोनॉमी चमकेगी, कोरोना तेरा मुंह5काला। कितना सटीक व्यंग्य किया है। इस उम्दा रचना पर बहुत बहुत बधाई।सादर
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