For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

करती सूखा बाढ़ बस, हलधर को भयभीत
बाँकी हर दुख पर रही, सदा उसी की जीत।१।
**
नाविक हर तूफान से, पा लेगा नित पार
डर केवल पतवार का, ना निकले गद्दार।२।
**
मजदूरी  में  दिन  कटा,  कैसे  काटे  रात
टपके का भय दे रही, निर्धन को बरसात।३।
**
आते जाते दे हवा, दस्तक जिस भी द्वार
लेकर झट उठ  बैठता, हर कोई तलवार।४।
**
शासन  बैठा  देखता, हर  संकट  को  मूक
निर्धन को भय मौत से, अधिक दे रही भूक।५।
**
मानवता से प्रीत थी,  पशुपन से भय मीत
इस युग में पर देखिए, उलट गयी यह रीत।६।
**
मधुशाला से सच रही, अद्भुत जिनकी प्रीत
कोरोना का  भय  मिटा,  चले  निभाने रीत।७।
**
हर  सत्ता  को  भय  रहा,  कुर्सी  का  अवसान
जिस कारण जनता विवश, करने को विषपान।८।
**
मौलिक अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 413

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 10, 2020 at 2:38pm

आ. भाई समर कबीर जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति व मार्गदर्शन के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 10, 2020 at 2:37pm

आ. भाई सुरेंद्रनाथ जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति, प्रशंसा व कमियों को इंगित करने के लिए आभार ।

Comment by Samar kabeer on May 9, 2020 at 2:33pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, अच्छे दोहे लिखे आपने, बधाई स्वीकार करें ।

'करती सूखा बाढ़ बस, हलधर को भयभीत'

इस पंक्ति में 'करती' की जगह "करते" शब्द उचित होगा,देखियेगा ।

Comment by नाथ सोनांचली on May 9, 2020 at 7:13am

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। बढ़िया दोहों का प्रयास हुआ है।

आप अगर दूसरे दोहे को यूं करें तो

नाविक हर तूफान से, पा लेता है पार

डरता पर पतवार से, ना निकले गद्दार।।

इसी तरह कुछ और दोहों में भी मुझे कुछ लग रहा है। देखियेगा। सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 8, 2020 at 4:12pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by TEJ VEER SINGH on May 8, 2020 at 12:33pm

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी ।बहुत बढ़िया गज़ल।

शासन  बैठा  देखता, हर  संकट  को  मूक
निर्धन को भय मौत से, अधिक दे रही भूक।५।

हर  सत्ता  को  भय  रहा,  कुर्सी  का  अवसान
जिस कारण जनता विवश, करने को विषपान।८।
**


कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , विषय के अनुरूप बढ़िया दोहे रचे हैं , बधाई आपको मात्रिकता सही होने के बाद…"
34 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"ग़ज़ल  *****  इशारा भी  किसी को कारगर है  किसी से गुफ्तगू भी  बे असर…"
57 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"लोग समझते शांति की, ये रचता बुनियाद।लेकिन बचती राख ही, सदा युद्ध के बाद।८।.....वाह ! यही सच्चाई है.…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
Friday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
Thursday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service