For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आकर वह आँचल में सोये
प्रेम दिखाए नैन भिगोये
मेरा है वह आज्ञापालक
क्या सखि साजन? ना सखि बालक।।1

समझो उसको ज्ञान प्रदाता
जो चाहो वह ढूँढ़ के लाता
बहुत चलन में आज और कल
क्या सखि शिक्षक? ना सखि गूगल।।2

नई बहू पर डाले फन्दा
सास ननद को रखे सुनन्दा
हर पत्नी का वो सहजीवी
क्या सखि गहना? ना सखि टीवी।।3

आता है वह स्वेद बहाने
ओंठ छुवन से प्यास बढ़ाने
बरते तनिक नहीं वह नरमी
क्या सखि साजन? ना सखि गरमी।।4

जिसके बिन घर आँगन सूना
देख जिसे खुश हो मन दूना
गिरे बदन पर खाकर गच्चा
क्या सखि साजन? ना सखि बच्चा।।5

उसके अंदर खुद को देखूँ
सज-धज कर उसको अवरेखूँ
कर दूँ उसको बदन समर्पण
क्या सखि साजन? ना सखि दर्पण।।6

पल में तोला पल में माशा
उसमें बसती फिर भी आशा
गम देता औ' देता खीवन
क्या सखि मौसम? ना सखि जीवन।।7

बड़ा नहीं उसका आकार
बिना बैटरी वह बेकार
हिय में उसके रहते फाइल
क्या कंप्यूटर? ना मोबाइल।।8

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 546

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 12, 2020 at 11:51am

आ. भाई सुरेन्द्र जी, सादर अभिवादन । अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on May 11, 2020 at 7:29am

आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। आपका आभार

Comment by नाथ सोनांचली on May 11, 2020 at 7:28am

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपकी प्रतिक्रिया अनमोल है। टंकण त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। सादर

Comment by नाथ सोनांचली on May 11, 2020 at 7:27am

आद0 गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। पोस्ट करते समय शायद मेरी कुछ गलतियो की वजह से टंकण त्रुटियां दृष्टव्य हुई। अब संसोधित कर दिया है। आपका हृदय तल से आभार।

खीवन = मस्ती

अवरेखूँ = निहारना

Comment by TEJ VEER SINGH on May 9, 2020 at 5:40pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी। बेहतरीन रचना।

पल में तोला पल में माशा
उसमें बसती फिर भी आशा
गम देता औ' देता खीवन
क्या सखि मौसम? ना सखि जीवन।।7

Comment by Samar kabeer on May 9, 2020 at 3:01pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,रचना का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

जनाब 'तुरंत' जी की बातों का संज्ञान लें ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 9, 2020 at 12:58pm

वाह वाह बहुत सुन्दर आप तो कह मुकरियाँ के जादूगर हैं , गिरे तन पर खाकर गच्चा -लय बाधित -गिरे=गिरता से सही हो जाएगा ,हिय में उसके रहते फाइलइल(टंकण त्रुटि ) कुछ शब्दों के अर्थ नहीं मालूम -अवरेखूं -खीवन =? अंतिम कह मुकरी ,कह मुकरी के मानदंड पर खरी नहीं | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service