For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेकार की मनोदशा

जाग जाता हूँ सुबह ही आँख अब लगती नहीं

दिन गुजरता है नहीं और रात कटती ही नहीं

ऐसा लगता है मैं कोई व्यर्थ सा सामान हूँ

है कदर न जिसकी कोई खोया वो सम्मान हूँ

 

प्यार बीवी के नजर में वैसी अब दिखती नहीं

है खफा वो खूब लेकिन मुँह से कुछ कहती नहीं

पहले सी चहरे पे उसके अब हसी दिखती नहीं

मेरी ये उदास आँखे झूठ कह सकती नहीं

 

चिढ़चिढ़ा सा हो गया हूँ बस यु हीं लड़ जाता हूँ

छोटी-छोटी बातों पे मैं बच्चों पे चिल्लाता हूँ

मेरे होने से घर में  बच्चे सहम से  जाते है

साथ खेलते थे कभी जो कोने में छिप जाते है

 

नौकरी रही नहीं और पैसे कम हो गए

आज पहली बार घर में सब भूखे पेट सो गए

हाथ फ़ैलाने का मौका पहली बार आ गया

मेरी बेकारी का आलम पुरे घर में छा गया

 

देखकर कमरों को लगता जेल सा माहौल है

फंस के रह गया हूँ इनमे मकड़ियों सा जाल है

घर में मैं बैठा हुआ हूँ खुद को ये मलाल है

अपनो की महफ़िल में मेरा अजनबी सा हाल है

 

जल्दबाजी हर तरफ और दौड़ के वो भागना

दस मिनट समय से पहले काम पे पहुँचना

अब किसी हड़बड़ी की जुस्तजू रही नहीं

कायदा रहा नहीं और आरज़ू बची नहीं

 

देर हो जाने का अब डर मुझे लगता नहीं

लौट के घर देर से अब मैं कभी आता नहीं

किसको कहते है भटकना आके कोई देख ले

वक़्त कैसे काटता है ये हमसे कोई सीख ले

 

कुछ दिनों और जो ये सिलसिला चल जाएगा

मैं रहूंगा ज़िंदा पर ये हौंसला मर जाएगा

खामोश सा मैं हो गया हूँ कुछ भी ना कह पाऊंगा

आज बेबसी को अपने साथ में ले जाऊंगा

"मौलिक  व अप्रकाशित"

अमन सिन्हा 

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on May 20, 2020 at 4:12pm

आद0 अमन सिन्हा जी अच्छी रचना हुई है।थोड़ा शब्दकल संयोजन और समान मात्राभार पर भी काम कीजिये,, इससे गेयता आएगी। सादर

Comment by AMAN SINHA on May 19, 2020 at 1:32pm

श्रीमान कबीर साहब,

हौंसला बढ़ाने के लिए धन्यवाद। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 19, 2020 at 9:30am

आ. भाई अमन जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by AMAN SINHA on May 18, 2020 at 11:33pm

श्रीमान कबीर साहब,

हौंसला बढ़ाने के लिए धन्यवाद। 

कृप्या मेरी रचना " पश्चाताप" पर भी टिप्पणी दे। 

Comment by Samar kabeer on May 18, 2020 at 3:00pm

जनाब अमन सिंहा जी आदाब, अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी चित्र को सार्थक करती छंद रचना।चित्र के सभी भावों पर दृष्टि डाली है आपने।…"
23 seconds ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी वाह बहुत सुन्दर..चित्र के हर भाव को जीवंत करती रचना..हार्दिक बधाई "
8 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी चित्र को जीवंत कर दिया है आपके छंदों ने। हार्दिक बधाई स्वीकार करें"
13 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
48 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन।चित्र को साकार करते उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई। "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद    आओ रे सब साथ, करेंगे मिलकर मस्ती। तोड़ेंगे  हम   आम,…"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"कृपया ठेले पढ़ें।एडिट का समय निकल जाने के बाद इस टंकण त्रुटि पर ध्यान गया"
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद  _ चित्र दिखाता मस्त, एक टोली बच्चों की हैं थोड़े शैतान, मगर दिल के सच्चों की ठान…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ******** पके हुए  ढब  आम,  तोड़ने  बच्चे आये। गर्मी का उपचार, तभी यह…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, आदरणीय, वाह!  प्रवहमान अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई शुभ-शुभ "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय समर  भाई , ग़ज़ल पर  उपस्थिति  और विस्तृत सलाह के लिए आपका आभार तक़ाबूल-ए-…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service