For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( ये नया द्रोहकाल है बाबा...)

(2122 1212 22/112)

शह्र में फ़िर बवाल है बाबा
ये नया द्रोहकाल है बाबा

एक तालाब अब नहीं दिखता
क्या यही नैनीताल है बाबा?

क्या इसे ही उरूज कहते हैं?
अस्ल में ये ज़वाल है बाबा

भूख हर रोज़ पूछ लेती है
रोटियों का सवाल है बाबा

आंख इतना बरस चुकी अब तो
आंसुओं का अकाल है बाबा

मैं अकेला ही लड़ पड़ा सबसे
देखकर वो निढाल है बाबा

क़ब्र के वास्ते जगह न रही

फावड़ा है कुदाल है बाबा

*मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1029

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सालिक गणवीर on May 31, 2020 at 7:32pm

आदरणीय अमीरुद्दीन ख़ान साहब.

आदाब.

ग़ज़ल पर उपस्थिती तथा हौसला अफजाई के लिए आपका तहे-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 31, 2020 at 6:08pm

आदरणीय जनाब सालिक गणवीर जी, आदाब । दमदार अश'आ़र से सुसज्जित शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें। सादर। 

Comment by सालिक गणवीर on May 31, 2020 at 2:45pm
आदरणीय तेज वीर सिंह जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.
Comment by सालिक गणवीर on May 31, 2020 at 2:43pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी
आदाब
ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.
आपकी इस्लाह पर अमल करता हूँ, आदरणीय.
Comment by TEJ VEER SINGH on May 31, 2020 at 11:47am

हार्दिक बधाई आदरणीय सालिक गणवीर जी। बेहतरीन गज़ल।

आंख इतना बरस चुकी है कि
आंसुओं का अकाल है बाबा

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 31, 2020 at 11:11am

आ. भाई गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई ।

"आंख इतना बरस चुकी अब तो" मिसरे को ऐसे भी किया जा सकता है  क्या ? सादर..

Comment by सालिक गणवीर on May 31, 2020 at 11:03am

आदरणीय राम अवध विश्वकर्मा जी

सादर अभिवादन

ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.

ख़याल और ख़्याल दो भिन्न शब्द हैंं,आदरणीय, पहले का अर्थ कल्पना और दूजे का देखभाल होता है. रही बात मात्राओं के उठा ने या गिराने की,तो ऐसा करने से बचना चाहिए. गिरा सकते हैं तो उठाया भी जा सकता है.

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on May 31, 2020 at 9:56am

आदरणीय सालिक गणवीर जी

नमस्कार। खूबसूरत ग़ज़ल के लिये बधाई

मेरे विचार से

ये गरीबों का ख्याल है बाबा

में ख्याल की जगह "खयाल " शब्द का प्रयोग होता है

आँख इतनी बरस चुकी है कि

यहां " कि"  का वज़्न 2 लिया गया है शायरी में वज्न गिराया जा सकता है लेकिन बढ़ाया नहीं जा सकता।

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
2 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
15 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service