शिक्षा देने वाले हे गुरुजनों,
कैसे आपका बखान करूं।
सूरज को दिया दिखाने जैसा,
कैसे ये तुच्छ काम करूं।।
ज्ञान शस्त्र जो मिला आपसे,
फिर दुनियां से क्यूं डरूं।
अज्ञानता के अन्धकार को,
जन जन के जीवन से दूर करूं।।
शिक्षक दिवस पर सभी गुरुजनों को,
हाथ जोड़ वंदन करूं।
बिना रुके बिना झुके,
आपके प्रशस्त मार्ग पर बढ़ती रहूं।।
किताबी ज्ञान को व्यवहारिक कर
जीवन में कूट कूट कर भर लूं।
समानता का अधिकार दिलाने,
दुनियां से भी मैं लड़ लूं।।
बुराई पर अच्छाई की विजय ,
उम्मीद का दिया ना बुझने दूं।
बनकर सबकी रोल मॉडल,
नाम आपका रोशन कर दूं।।
नीता तायल
कासगंज ,उत्तर प्रदेश
"मौलिक और अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय सर जी ,आपके प्रोत्साहित शब्दों ने मुझ में एक नई ऊर्जा भर दी है
आदरणीय नीता तयाल जी खूबसूरत आगाज़ किया है आपने । बहुत अच्छी रचना । दाद कबूल कीजियेगा ।
//जी शुक्रिया//
एक बात आपको बताना चाहता हूँ, और वो ये कि ओबीओ दूसरे मंचों से अलग है,इसे सीखने सिखाने के उद्देश्य से बनाया गया है, कुछ नियम तो इसमें लिख दिए गए हैं और कुछ आपसी सहयोग से इसकी परिपाटी बन गए हैं ।
इनमें एक परिपाटी ये है कि जब हम किसी रचना पर टिप्पणी दें तो सबसे पहले आदर सूचक शब्दों से रचनाकार का नाम लेकर सम्बोधित करें,उसके बाद यदि रचना अच्छी लगी हो तो उसकी तारीफ़ की जाए,अगर कोई बात समझ न आये या रचनाकार को समझाना हो तो अच्छे शब्दों में अपनी बात रखें । सिर्फ़ अपनी रचना पोस्ट करने से मंच पर आपकी सक्रियता नहीं बनेगी,बल्कि ये आपका अख़लाक़ी फ़र्ज़ है कि अपने साथियों की पोस्ट पर जाकर उनकी रचना पर अपने विचार रखें उस पर आई हुई टिप्पणियों को पढ़ें,कोई चर्चा हो रही हो तो उसमें भाग लें,भाग न लें तो पढ़ें ज़रूर,मुमकिन है आपको कुछ सीखने को मिल जाये ।
दूसरी तरफ़ जब हम अपनी रचना पर आई टिप्पणियों के जवाब दें तो पहले जिस जिस ने आपकी रचना पर टिप्पणी दी है उन्हें अलग अलग पहले आदर सूचक शब्दों से उनका नाम लेकर उन्हें सम्बोधित करें,फिर उनकी टिप्पणी का उचित जवाब दें ।
उम्मीद है मंच की इस परिपाटी को निभाने में आप सहयोग करेंगी ।
जी शुक्रिया
बहुत अच्छे विचार आए हैं। एक बेहतर प्रयास है। और अभ्यास से शिल्प भी बेहतर होता जाएगा। इस रचना पर बधाई स्वीकारें।
मुहतरमा नीता जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।
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