For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 212

.

1

अपनी हर लग़्ज़िश छिपा ली जाएगी

हाँ क़सम झूठी भी खा ली जाएगी

2

जिंदगी की शान-ओ-शौकत के लिए 

बात कुछ भी अब बना ली जाएगी 

3

दिल में नफ़रत का बसा कर इक नगर 

चाशनी लफ़्ज़ों पे डाली जाएगी

4

पत्थरों के शहर में क्या गाँव से 

धूप की भी अब पियाली जाएगी 

5

 हाथ में तस्बीह दिल मे रंजिशें 

क्या दुआ ऐसे न खाली जाएगी

6

शह्र में बनते मकानों के लिए

बाग की हर एक डाली जाएगी

7

अश़्कों ने अल्फ़ाज़ सारे धो दिए 

डायरी फिर आज खाली जाएगी

8

अब अमीरों के लिए क्या उम्र भर 

मुफ़लिसों के खूँ की लाली जाएगी 


मौलिक व अप्रकाशित 
रचना निर्मल 

Views: 708

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 25, 2020 at 11:55am

बढ़िया ग़ज़ल कही आदरणीया बधाई

Comment by Rachna Bhatia on December 15, 2020 at 8:39am

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी नमस्कार। भाई,हौसला बढ़ाने के लिए तहेदिल से शुक्रिय:।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 14, 2020 at 6:51pm

आ. रचना बहन , सादर अभिवादन । गजल का अच्छा प्रयास हुआ है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Rachna Bhatia on December 13, 2020 at 6:40pm

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, नमस्कार। आदरणीय कमियों को लगातार करने का प्रयास कर रही हूँ। कमियाँ इंगित करने के लिए धन्यवाद। 

Comment by Rachna Bhatia on December 13, 2020 at 6:36pm

आदरणीय, अमीरुद्दीन 'अमीर' साहब ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए आपकी आभारी हूँ। 

Comment by Rachna Bhatia on December 13, 2020 at 6:34pm

आदरणीय समर कबीर सर् ,ग़ज़ल तक आने तथा इस्लाह करने के लिए बहुत आभारी हूँ। आदरणीय , आपके द्वारा बताए गए सभी सुधार करने के बाद आपको ग़ज़ल फिर से दिखाती हूँ। 

सादर। 

Comment by Samar kabeer on December 13, 2020 at 2:29pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'अपनी हर लग़्ज़िश छिपा ली जाएगी

हाँ क़सम झूठी भी खा ली जाएगी'

मतले के सानी में 'हाँ' की जगह "इक" शब्द उचित होगा ।

'दिल में नफ़रत का बसा कर इक नगर 

चाशनी लफ़्ज़ों पे डाली जाएगी'

दोनों मिसरों में रब्त नहीं है, सानी में 'चाशनी' शब्द का कोई औचित्य नहीं,ग़ौर करें ।

'धूप की भी अब पियाली जाएगी'

इस मिसरे में क़ाफ़िया काम नहीं कर रहा है ।

'हाथ में तस्बीह दिल मे रंजिशें

क्या दुआ ऐसे न खाली जाएगी'

इस शैर के ऊला में 'तस्बीह' शब्द का वज़्न 221 ठीक है, लेकिन सानी में 'दुआ' के लिये "ख़ाली" शब्द उचित नहीं, दुआ में असर होता है,या बे असर होती है, ग़ौर करें ।

'डायरी फिर आज खाली जाएगी'

इस मिसरे में रदीफ़ से इंसाफ़ नहीं हुआ, ग़ौर करें ।

'मुफ़लिसों के खूँ की लाली जाएगी' 

इस मिसरे में रदीफ़ से इंसाफ़ नहीं हुआ, ग़ौर करें ।

ग़ज़ल में क़वाफ़ी का दुहराव कोई ऐब नहीं होता ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 12, 2020 at 9:51pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ख़ूबसूरत अन्दाज़ के साथ उम्दा ग़ज़ल हुई है शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।

Comment by Chetan Prakash on December 12, 2020 at 6:50pm

आदाब, मोहतरमा रचना ' निर्मल,  ग़ज़ल हुई , ज़ाहिर है बेहतर हो सकती थी ! ' तस्बीह ,  कदाचित, श्री जा, (२२१ ) नहीं होता!  पियाली, 

Comment by Chetan Prakash on December 12, 2020 at 6:49pm

आदाब, मोहतरमा रचना ' निर्मल' जी,  ग़ज़ल हुई , ज़ाहिर है बेहतर हो सकती थी ! ' तस्बीह ,  कदाचित, श्री जा, (२२१ ) नहीं होता!  पियाली,  भी काफिया जॅचा नहीं! और  एक ही काफिया' खाली की आवृत्ति भी उचित नहीं लगी, बेबाकी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ, आदरेया!'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"स्वागतम"
17 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"है सियासत की ये फ़ितरत जो कहीं हादसा हो उसको जनता के नहीं सामने आने देना सदर"
18 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय पंकज जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
18 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
18 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमित जी  बहुत बहुत शुक्रिया सज्ञान लेने के लिए कोशिश करती हूं समझने की जॉन साहब को भी…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई पंकज जी, हार्दिक आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. रिचा जी, हार्दिक आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई जयनित जी, हार्दिक आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई दिनेश जी, हार्दिक आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, हार्दिक आभार।"
19 hours ago
Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण जी ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, शेष अमित जी ने विस्तृत इस्लाह की है। "
20 hours ago
Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय बाग़पती जी अच्छी ग़ज़ल से मुशायरे की शुरुआत के लिए साधुवाद"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service