For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-क़ातिलों के साथ जब हमको नज़र आई सियासत

2122 2122 2122 2122

कैसे कह दें मुल्क में कितनी निखर आयी सियासत ।
क़ातिलों के साथ जब हमको नज़र आई सियासत ।।

चाहतें सब खो गईं और खो गए अम्नो सुकूँ भी ।
इक तबाही का लिए मंज़र जिधर आई सियासत ।।

नफ़रतों के ज़ह्र से भीगा मिला हर शख़्स मुझको ।
कुर्सियों के वास्ते जब गाँव- घर आई सियासत।।

मन्दिरो मस्ज़िद में बैठे खून के प्यासे बहुत हैं ।
क्या हुआ इस मुल्क में जो इस कदर आई सियासत ।।

आदमी का ख़्वाब देखो फिर ठगा सा रह गया है ।
जाने कितने वादे करके फिर मुकर आई सियासत ।।

कर लिया मैंने जो सज़दा उस ख़ुदा के नाम पर।
बात बस इतनी सी थी लेकिन उभर आई सियासत ।।

साजिशें बुनने लगी वो अन्नदाता के लिए अब ।
इस तरह मतलब परस्ती पर उतर आई सियासत ।।

--डॉ नवीन मणि त्रिपाठी

Views: 644

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on January 1, 2021 at 11:57am

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ नवीन मणि त्रिपाठी जी। बेहतरीन गज़ल।

मन्दिरो मस्ज़िद में बैठे खून के प्यासे बहुत हैं ।
क्या हुआ इस मुल्क में जो इस कदर आई सियासत ।।

आदमी का ख़्वाब देखो फिर ठगा सा रह गया है ।
जाने कितने वादे करके फिर मुकर आई सियासत ।।

Comment by Samar kabeer on December 27, 2020 at 2:29pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'जाने कितने वादे करके फिर मुकर आई सियासत'

इस मिसरे में 'मुकर आई' वाक्य विन्यास ठीक नहीं है, देखियेगा ।

'कर लिया मैंने जो सज़दा उस ख़ुदा के नाम पर'

ये मिसरा बह्र में नहीं है, देखियेगा ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 24, 2020 at 10:12pm

आ0 अजय कुमार मौर्या जी दिल से शुक्रिया

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 24, 2020 at 10:11pm

आ0 लक्ष्मण धामी साहब दिल से शुक्रिया ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 24, 2020 at 10:11pm

आ0 सालिक गनवीर साहब दिल से शुक्रिया

Comment by सालिक गणवीर on December 24, 2020 at 8:34pm

भाईNaveen Mani Tripathi  जी
सादर अभिवादन
एक और बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शैर दर शैर दाद और मुबारक़बाद क़ुबूल करें

Comment by Ajay Kumar on December 24, 2020 at 6:42am
सियासत पर बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने, बधाई हो आदरणीय
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 23, 2020 at 12:04pm

आ. भाई नवीन मणि जी, सादर अभिवादन। अति उत्तम समसामयिक गजल हुई है । हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
6 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service