For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भूल मन पीड़ा विगत की गा रहा है - लक्ष्मण धामी'मुसाफिर' (गजल)

२१२२/२१२२/२१२२


भूल मन पीड़ा विगत की गा रहा है
शुभ रहे नव  वर्ष  ये  जो आ रहा है।१।
*
आँख जब आँसू झराने को विवश थी
अन्त उस मौसम  का होने जा रहा है।२।
*
जिन्दगी होगी सुहानी आज से फिर
भोर का  सूरज  हमें  समझा रहा है।३।
*
बह न पाए फिर लहू इन्सानियत का
ये वचन मन को  सभी के भा रहा है।४।
*
पेट भर भूखे को रोटी नित मिलेगी
साथ यह उम्मीद  साथी  ला रहा है।५।
*
बाँटना  हर  द्वार  जाकर  है  उसे भी
मन को जो अन्जान सुख हर्षा रहा है।६।
*
वर्ष नूतन फिर से भर भण्डार देना
लूटने वाला  बरस  तो  जा  रहा है।७।

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 881

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 5, 2021 at 1:17pm

आ. भाई सुरेन्द्र नाथ जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 5, 2021 at 12:50pm

आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िरजी सादर अभिवादन। बढिया गज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 2, 2021 at 11:22am

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 2, 2021 at 11:00am

जनाब लक्ष्मण भाई मुसाफ़िर जी आदाब, शानदार ग़ज़ल पेश की है आपने दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2021 at 6:04pm

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन सहः नववर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2021 at 6:02pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए धन्यवाद । इंगित मिसरे के विषय में आपका सुझाव उचित है । सादर आभार..

Comment by सालिक गणवीर on January 1, 2021 at 3:14pm

भाई लक्ष्मण धामी जी

सादर अभिवादन

बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. बधाइयाँ. कबीर साहब की इस्लाह से मैं भी सहमत हूँ. 'झराने" की बजाय "बहाने" ज़ियादा उचित होगा.

Comment by Samar kabeer on January 1, 2021 at 2:28pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'आँख जब आँसू झराने को विवश थी'

इस मिसरे में 'झराने' की जगह "बहाने" शब्द पर विचार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2021 at 11:59am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन एवं नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ । गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन  लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2021 at 11:57am

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन एवं नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ । गजल पर उपस्थिति , उत्साहवर्धन एवं त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service