For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-उदासी इस क़दर मुझमें उतरती जा रही है

1222      1222      1222      122

ग़मों की दिन-ब-दिन क़िस्मत सँवरती जा रही है
उदासी इस क़दर मुझमें उतरती जा रही है

अभी तो वक़्त है पतझर के आने में,हवा क्यों
चली ऐसी कि मन वीरान करती जा रही है

बहारों ने चमन लूटा मगर बाद-ए-सबा ये 
खिज़ाओं पे हरिक इलज़ाम धरती जा रही है


फ़िराक-ए-यार का मौसम बहुत नज़दीक आया
विसाल-ए-यार की उम्मीद मरती जा रही है

उसे तो भा रही है अब ज़माने की रिवायत
यहाँ अपनी मुहब्बत भी निखरती जा रही है

कोई सूरत नहीं है चाँद के दीदार की 'ब्रज'
शब-ए-ग़म आँसुओं के साथ झरती जा रही है
​(मौलिक एवं अप्रकाशित) ​
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 959

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 1, 2021 at 10:02pm

आदरणीय सोनांचली जी आपका हार्दिक धन्यवाद...

Comment by नाथ सोनांचली on March 30, 2021 at 5:44pm

आद0 बृजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल हुई हैं। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 22, 2021 at 1:28pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया रचना जी...

Comment by Rachna Bhatia on March 21, 2021 at 9:14am

आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी,नमस्कार। बेहतरीन ग़ज़ल हुई हर शेर कमाल का है।

हार्दिक बधाई।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 20, 2021 at 8:05am

आपका धन्यवाद आदरणीय आज़ी तमाम जी...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 20, 2021 at 8:04am

स्वागत संग आभार आदरणीय अमीरुद्दीन जी...सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 20, 2021 at 8:03am

बहुत बहुत आभार आदरणीय धामी जी ध्यानाकर्षित करने के लिए...गूगल कीपैड के बार पंगे कर देता है।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 20, 2021 at 8:02am

आदरणीय नाथ सोनांचली जी आपका हार्दिक आभार...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 20, 2021 at 8:01am

आदरणीय समर कबीर जी ग़ज़ल पे आपकी उत्साहवर्धक टिप्पड़ी से अतिप्रसन्नता का अनुभव हुआ...आपसे "ग़ज़ल अच्छी है बृजेश" ये सुनने का प्रयास जारी रहेगा...

Comment by Aazi Tamaam on March 19, 2021 at 7:46pm
सादर प्रणाम आदरणीय ब्रज जी बहुत मधुर ग़ज़ल है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service