For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रश्मियाँ दिखतीं नहीं - ग़ज़ल

मापनी  २१२२ २१२२ २१२२ २१२ 

उपवनों में फूल कलियाँ तितलियाँ दिखतीं नहीं 

रोज कोयल खोजती अमराइयाँ दिखतीं नहीं 

 

हो गई आँखों से ओझल ऋतु बसंती प्यार की

तप रहा मन का मरुस्थल बदलियाँ दिखतीं नहीं

 

कौन सा यह आवरण ओढ़ा हुआ है आपने

सुन न पाते सिसकियाँ, दुश्वारियाँ दिखतीं नहीं

 

चमचमाते हैं महल सब, जगमगाता हर शिखर 

तलहटी में ही मुझे ये रश्मियाँ दिखतीं नहीं 

 

काव्य सरिता बह रही है बंधनों को तोड़कर

कथ्य अनगढ़, भाव में गहराइयाँ दिखतीं नहीं 

 

जब उजाले पास थे तब एक लश्कर साथ था

है अँधेरा आज तो परछाइयाँ दिखतीं नहीं

 

छुट्टियाँ ननिहाल की. वो ताल, पनघट, मस्तियाँ 

अब कहीं वो सर्दियाँ वो गर्मियाँ दिखतीं नहीं

"मौलिक एवं अप्रकाशित "

Views: 705

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 19, 2021 at 10:11am

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी सादर नमस्कार

आपकी हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on April 17, 2021 at 10:35pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, ख़ूबसूरत ग़ज़ल पेश की है आपने दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।  सादर।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 17, 2021 at 1:09pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार

आपका स्नेह मिला सृजन सार्थक हुआ 

सादर नमन आपको 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 17, 2021 at 12:53pm

आ. भाई बसंत जी, सादर अभिवादन । बहुत ही मनभावन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 17, 2021 at 12:46pm

आदरणीय Aazi Tamaam जी सादर नमस्कार 

आपकी हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by Aazi Tamaam on April 17, 2021 at 12:14pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है बेहद मधुर लयबद्ध किया गया है

सादर प्रणाम आदरणीय बसंत जी

बधाई स्वीकारें

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 17, 2021 at 11:14am

आदरणीया Rachna Bhatia जी सादर नमस्कार एवं प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार नमन 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 17, 2021 at 11:14am

आदरणीय Chetan Prakash जी, सादर नमस्कार , आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया और सुझाव को सादर नमन - बसंत 

Comment by Rachna Bhatia on April 17, 2021 at 8:34am

वाह वाह वाह

बेहतरीन ग़ज़ल हुई। आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी हार्दिक बधाई।

Comment by Chetan Prakash on April 17, 2021 at 7:41am

बंधुवर, बसंत कुमार शर्मा जी अच्छी हिंदी ग़ज़ल हुई है! 'तलहटी में मुझे 'ये' रश्मियाँ दिखती नहीं ' यहाँ 'ये' के स्थान पर, सर्वनाम 'वो' होना चाहिए ! सार्थक ग़ज़ल हेतु बधाई, भाई! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदाब, आदरणीय,  ' नूर ' मैंने आपके निर्देश का संज्ञान ले लिया है! "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service