अभिव्यक्ति ......
कैसे व्यक्त करूँ
अपने प्रेम की गहराई को
अभिव्यक्ति के अवगुंठन में
एक खीज है
तुम्हें छूने की
अबोले स्पर्शों से
कब तक लड़ूँ मैं
तुम ही कहो न
अपने प्रेम की गहराई को
कैसे व्यक्त करूँ मैं
हां! मैं तुम्हें प्यार करूँगी
भोर की उजास में
साँझ की प्यास में
तृप्ति की आस में
हर हलाहल पी जाऊँगी
मर के भी जी जाऊँगी
बस मेरी तन्हाई में
कुछ देर और जी जाओ
तुम ही कहो
तुम्हारे प्यार में आखिर
कब तक जिऊँ और मरूँ मैं
अपने प्रेम की गहराई को
कैसे व्यक्त करूँ मैं
सुशील सरना / 15-7-21
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी प्रस्तुति है,बधाई स्वीकार करें ।
नमन, आदरणीय सुशील सरना, सौ प्रयत्नों के बावजूद भी कुछ अव्यक्त रह जाना, वास्तव में एक सत्य है, आपने यह महसूस किया और स्वीकार भी किया, सिद्ध करता है, आदाब, आप आचरण से ईमानदार हैं!
लेकिन आदरणीय फिर रचना का शीर्षक " अभिव्यक्ति की परेशानी' होना चाहिए! सादर !
आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है । हार्दिक बधाई ।
नमस्कार, आदरणीय सुशील सरना साहब, कविता का सारा दारोमदार, मान्यवर, अभिव्यक्ति है! फिर, अभव्यक्ति के अवगुंठन' आपका क्या अभिप्राय है, समझ से परे है ! आशा है, बंधुवर, उक्त बिन्दु पर आप जरूर प्रकाश डालेंगे! सादर
जनाब सुशील सरना जी आदाब, प्रेम की गहराई को अभिव्यक्त करने की अभिलाषा की शानदार अभिव्यक्ति के रूप में सुन्दर रचना हुई है। बधाई स्वीकार करें। सादर।
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