For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजनीति के पेड़  से, लिपटे  बहुत भुजंग।
जिनके विष से हो गये, सब आदर्श अपंग।१।
*
बँधकर पक्की डोर से, छूना नहीं अनंग।
सबके मन की चाह है, होना कटी पतंग।२।
*
शिव सा बना न आचरण, होते गये अनंग।
लील रहे  जीवन  तभी, ओछे  प्रेम प्रसंग।३।
*
क्षीण,हीन उल्लास अब, शेष न कोई ढंग।
हालातों ने कर दिया, जीवन अन्ध सुरंग।४।
*
बेढब फीके  हो  गये, जब  से जीवन रंग।
कितनों ने है कर लिया, अपनी साँसें भंग।५।
*
तन की गलियाँ बढ़ गयीं, मन का आँगन तंग
सिमटे निज  में  लोग तो,  बदला  जीवन रंग।६।
*
सुविधाओं का ही रहा, नगर गाँव पासंग
वरना दोनों  रच  गये, एक  आचरण रंग।७।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 399

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 24, 2021 at 6:13am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। दोषपूर्ण दोहों में सुधार किया है देखिएगा। सादर..

बुरी दशाओं ने किया, जीवन अन्ध सुरंग

'कितनों ने ही की यहाँ, अपनी साँसें भंग'

Comment by Samar kabeer on December 22, 2021 at 2:34pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मिसाफ़िर' जी आदाब, अच्छे दोहे रचे आपने, बधाई स्वीकार करें ।

'हालातों ने कर दिया, जीवन अन्ध सुरंग'

इस पंक्ति में 'हालातों' शब्द ग़लत है, 'हालत' का बहुवचन "हालात" होता है,देखियेगा ।

'कितनों ने है कर लिया, अपनी साँसें भंग'

इस पंक्ति में 'कर लिया' पर विचार करें,क्योंकि 'साँसें' शब्द स्त्रीलिंग है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 17, 2021 at 8:50pm

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 16, 2021 at 8:15pm

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, बहुत सुंदर दोहा सप्तक, और सभी दोहे सम तुकांत, बहुत ख़ूब।

राजनीति के पेड़ से, लिपटे बहुत भुजंग।

जिनके विष से हो गये, सब आदर्श अपंग।   ...लाजवाब दोहा ।  हार्दिक बधाई। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service