For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मकर संक्रांति के दोहे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

आया है जन पर्व जो, मकर संक्रांति आज।
गंगा तट पर सब  जुटे, छोड़  सकारे काज।१।
*
आज उत्तरायण हो चले, मकर राशि पर सूर्य।
हर घाट शंखनाद  अब, बजता  चहुँदिश तूर्य।२।
*
निशा घटे बढ़ते दिवस, बढ़ता सूर्य प्रकाश।
भर देते हैं इस  दिवस, कनकौवे  आकाश।३।
*
विविध प्रांत, भाषा यहाँ, भारत देश विशाल।
विविध पर्व भी हैं  मगर, मनें  सनातन चाल।४।
*
गंगा में डुबकी  लगा, करते हैं सब स्नान।
करते पाने पुण्य फिर, अन्न धन्न का दान।५।
*
कहो मकर संक्रांत या, पोंगल बीहू पर्व ।
धर्म सनातन में मने, घरघर बहुत सगर्व।६।
*
गुड़ तिल लड्डू  बाँटते, बनते  हैं पकवान।
धुल जाते हैं पाप सब, प्रथम माध स्नान।७।
*
स्नेह भरा व्यवहार ही, है जिस का आधार।
हो सबको संक्रान्ति का, शुभ मंगल त्योहार।८।*

*****
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 424

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 30, 2022 at 11:19am

//जिन्हें आपने जगण से शुरु बाताया है वे जगण नहीं है। जगण के उदाहरण ये हैंजैसे जमीन, किसान आदि शब्द।//

इस जानकारी के लिये धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण जी। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 30, 2022 at 6:43am

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

इंगित पंक्तियों को यूँ पढ़ें

आज उत्तरायण चले,'    ' कर प्रथम माध स्नान'  

//

जिन्हें आपने जगण से शुरु बाताया है वे जगण नहीं है। जगण के उदाहरण ये हैं

जैसे जमीन, किसान आदि शब्द। सादर..

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 14, 2022 at 5:41pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर अच्छे दोहे रचे हैं आपने हार्दिक बधाई स्वीकार करें। 

'आज उत्तरायण हो चले,'    'प्रथम माध स्नान'            इन चरणों में मात्राओं की संख्या कितनी गिनी है आपने, 

'निशा घटे बढ़ते दिवस,'      'कहो मकर संक्रांत या,'     इन चरणों को 'जगण' से प्रारंभ किया जाना क्या उचित है?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
14 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
56 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
1 hour ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service