For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा सप्तक -६( लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' )

रह कर अपनी मौज में, बहना  नित चुपचाप
सीख सिन्धु से सीख ये, जीवन पथ को नाप।।
*
जन सम्मुख जो दे रहे, आपस में अभिशाप
सत्ता को करते  मगर, वो  ही  भरत मिलाप।।
*
शासन  भर  देते रहे, जनता  को सन्ताप
सत्ता बाहर बैठ अब, करते बहुत विलाप।।
*
बचपन से ही बन रहे, जो गुण्डों की खाप
राजनीति की छाँव में, रहे नोट नित छाप।।
*
दुख वाले घर द्वार पर, सुख देता जब थाप
उड़ जाते  हैं  सत्य  है, बनकर  आँसू भाप।।
*
कह लो  चाहे  तो  बुरा, चाहे अच्छा आप
खान पान के रंग अब, गये आचरण व्याप।।
*
काट पीट नित  पेड़  जब, दिया  धरा  को ताप
अब क्यों करता फिर रहा, छाँव-छाँव का जाप।।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 591

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 24, 2022 at 8:10pm

आ. भाई वृजेशजी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व प्रशंसा के लिए धन्यवाद।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 17, 2022 at 11:02pm

वाह वाह आदरणीय धामी जी...उत्तम दोहे...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 16, 2022 at 6:15am

आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by Aazi Tamaam on January 15, 2022 at 12:56pm

वाह वाह वाह वाह हर इक दोहा दिल में उतर गया बेहद सुंदर दोहे कहे आ धामी सर आपने दिल से बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 7, 2022 at 8:37am

आ. भाई शरद जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 6, 2022 at 11:06pm

आदरणीय भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन।  दोहा सप्तक पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।
सबसे पहले यह बात स्पष्प तौर पर समझ लीजिए कि यह मंच हम सभी के लिए सीखने सिखाने का माध्यम है। उसके अंतर्गत एक पाठक के तौर पर किसी भी रचना पर अपने विचार रखना ही परम्परा है। आप वरिष्ठ हैं। आपके सुझावों का तहेदिल से स्वागत है।

1.
//. सीख सिन्धु से सीखिये ....करके देखिये।//
वस्तः सुझाव उचित है किन्तु इससे मूल भाव और कहन प्रभावित हो रहा।
2. सत्ता हित करते मगर, ....करके देखिये।
3. शासन भर देते रहे,.....शासन कर देते रहे,
4. उड़ जाते हैं सत्य है,.......उड़ जाते ये सत्य है,//

ये तीनों  सुझाव

उत्तम

हैं


5. खान पान के ढंग अब,// इसमें रंग ही उचित है। सादर

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on January 6, 2022 at 5:12pm
आदरणीय Methani जी की सरलता व 'मुसाफिर' जी की रचना दोनों सराहनीय ……
Comment by Dayaram Methani on January 6, 2022 at 2:14pm

आदरणीय लक्ष्मण धामीजी, दोहा सप्तक पढ़ा। बहुत अच्छे दोहे लिखे आपने इस हेतु बधाई स्वीकार करें। मैं इस लायक तो नहीं हूं कि आपको सुझाव दूं किंतु मन में आया है इसलिये यहाँ लिख रहा हूं। यदि कुछ गलत हो तो क्षमा करें।

1. सीख सिन्धु से सीख ये ..... सीख सिन्धु से सीखिये ....करके देखिये।
2. सत्ता को करते मगर,......सत्ता हित करते मगर, ....करके देखिये।
3. शासन भर देते रहे,.....शासन कर देते रहे,
4. उड़ जाते हैं सत्य है,.......उड़ जाते ये सत्य है,
5. खान पान के रंग अब, ........खान पान के ढंग अब,

आदरणीय, ये मेरी मंद बुद्धि की सलाह है। इसे अन्यथा ना लें। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service