दोहा त्रयी : राजनीति
जलकुंभी सी फैलती, अनाचार की बेल ।
बड़े गूढ़ हैं क्या कहें, राजनीति के खेल ।।
आश्वासन के फल लगे, भाषण की है बेल ।
राजनीति के खेल की , बड़ी अज़ब है रेल ।।
राजनीति के खेल की, छुक- छुक करती रेल।
डिब्बे बदलें पटरियां, नेता खेलें खेल ।।
सुशील सरना / 23-1-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
अच्छा प्रयास हुआ है, आदरणीय.
जय-जय
आ. अमीर साहब, इस तरह की आधारहीन टिप्पणी करना आपकी कदाचित आदत बन गयी है! अभी सम्पन्न मुशायरे में भी आप मुझे ज्ञान दे रहे थे कि " ग़ज़ल "उर्दू की विधा है! " और, जब मैं ने बताया कि उर्दू मूलतः भारत में विकसित हिन्दी
की बोली है जिसे पहले हिन्दुस्तानी, हिन्दवी और तत्पश्चात उर्दू कहा जाने लगा तो आप ने मुझे मंच पर असत्य भाषण का आरोप लगाते हुए चेतावनी जारी कर दी! इतना ही नहीं ग़ज़ल उर्दू की विधा यह झूठ और बोला बिना यह समझे हुए कि कोई भी विधा किसी भाषा विशेष की मोहताज नहीं होती!
के लिए चेतावनी देते हुए मेरे प्रोफेसर होने पर व्यंग किया है!
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, क्षमा पूर्वक निवेदित है कि मैंने त्रुटिवश दोहे के चरण "बड़ी अज़ब है रेल" का प्रारम्भ 'जगण' से होना मानकर टिप्पणी की थी। वास्तव में उक्त चरण दोष रहित है। 'जगण' तीन अक्षरों का ऐसा समूह (शब्द) जिसका पहला अक्षर लघु दूसरा दीर्घ तथा तीसरा लघु हो, जैसे रमेश, गरीब, अजीब, मशीन, किसान आदि हो, को कहते हैं। मेरे द्वारा इंगित चरण में दो अलग-अलग शब्दों के अक्षरों को मिला कर त्रुटिवश जगण मानकर टिप्पणी की गयी जो कि ग़लत है। पुन: क्षमा सहित। सादर।
आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहावली हुई है । हार्दिक बधाई।
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, तुच्छ राजनीति पर कटाक्ष करते सुंदर दोहे रचे हैं आपने, हार्दिक बधाई।
'बड़ी अज़ब है रेल' दोहे में चरणों का प्रारम्भ जगण से होने का निषेध है, 'अजब' शब्द में नुक़्ता नहीं लगेगा, सादर।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online