जब मैं चलता हूँ तो साथ साथ वो भी चलती है
जहां मैं मुड़ा कहीं मेरे साथ वो भी मुड़ जाती है
रूप रंग में हाव-भाव में बिल्कूल मेरे जैसी है
मैं तो दीखता हूँ हर जगह वो कहीं-कहीं छुप जाती है
सूरज हो या चाँद फलक पर इसको फर्क नही पड़ता
खोली हो या हो कोई हवेली इसको डर नहीं लगता
आगे पीछे ऊपर निचे ये कही भी हो सकती है
टेढ़ी मेढी छोटी मोटी ये कैसी भी हो सकती है
ब्राह्मण हो या राजपूत हो या फिर कोई हरिजन हो
चाहे कोई हो गोरा काला पराया या परिजन हो
उंच-नीच का भेद-भाव का इस पर कोई असर नहीं
जात-पात और आन-मान की इसको कोई खबर नहीं
ये ना देखे मंदिर मस्जिद गिरजा घर या गुद्वारा हो
मुस्लिम का हो मय खाना या हिन्दू की मधुशाला हो
लोग अलग हो जितने चाहे सबको एक दिखलाती है
सबकी एक ही हालत है हर बार यही समझाती है
पास है पर साथ नहीं वो धरती पर है आकाश नहीं
उजियारे से है इसकी यारी तिमिर से होती बात नही
कहीं कभी जो हम छूप जाए या अँधेरा छा जाये
बादल भी आ जाए तो फिर ये कहीं पर खो जाए
"मौलिक व अप्रकाशित"
अमन सिन्हा
Comment
आदरणीय अमन सिन्हा जी, सहज सरल शब्दों ंमें आपने रचनाभ्यास किया है. इस हेतु हार्दिक बधाई.
आप पटल पर उपलब्ध अन्य रचनाकारों की रचनाओं का भी पाठ करें तथा उनके शब्द तथा भाव विन्यास पर एकाग्र हों. इससे आपकी रचनाप्रक्रिया के आशातीत सुधार होगा. शब्दों के हिज्जै पर भी आप अवश्य ध्यान दें. अन्यथा आपके प्रयास में अनावश्यक विकार बना रहेगा जो आपकी रचना को किसी स्वादिष्ट लुकमे में बालुका राशि की उपस्थिति तरह त्याज्य बनाये रखेगा.
आप किसी अच्छे शब्दकोश की भी मदद लेते रहें. शब्दकोश का संदर्भ लिया जाना आपके शब्दों के गठन और उसकी बुनावट को शुद्ध रखेगा.
शुभ-शुभ
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online