एक सर्वेक्षण-कर्ता की डायरी
दिनांक :- ३० अक्तूबर, २०२१
बॉस ने ‘वर्तमान ऑनलाइन शिक्षा-प्रणाली की सार्थकता और उपयोगिता’ पर सर्वेक्षण कर अगले वर्ष के फ़रवरी माह तक रिपोर्ट जमा करने हेतु कहा है|”
दिनांक:- ४ नवम्बर, २०२१.
तय किया है कि उपर्युक्त विषय हेतु मैं वरिष्ठ-नागरिकों, बच्चों के अभिभावक, युवा वर्ग, एवं बच्चों से मिलूँगा | और कुछ मित्रों और सहयोगियों से दूर दराज़ गाँव, रेड-लाइट ऐरिया, बी.पी.एल. के नीचे आ रहे विद्यार्थी गण एवं विशेष बच्चों पर आधारित डाटा इकट्ठा कर अपने इस सर्वेक्षण का हिस्सा बनाऊँगा|
दिनांक:- १० नवम्बर,२०२१
हम सब ने अपना-अपना सर्वेक्षण आरम्भ कर दिया है...|
दिनांक :- ३१ दिसंबर, २०२१
वरिष्ठ-नागरिकों के मिलने पर हमने यह पाया कि अधिकतर लोगों ने यह कहा, “हम तो अपने घर-गृहस्थी में लगे हुए थे| हमारे समय में तो पढाई-लिखाई पर तो कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया| अब अपने पोते-पोतियों को कंप्यूटर और मोबाइल पर पढ़ते देख लगता है जैसे बच्चे आकाश को छू रहे हैं| और जो पढ़ लिख जाता था बिरादरी में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ जाती और शादी-ब्याह के समय लड़के के भाव बढ़ जाते, अच्छा-खासा दहेज़ लिया जाता था|
कुछ के लिए तो यह जी का जंजाल प्रतीत हो रहा था| दिन-रात बेटा-बहू और अब बच्चों को कंप्यूटर के आगे ही देखना जैसे नियति बन गया था| और उनके मध्य के संवाद कहीं खो गए थे...
दिनांक: २० जनवरी,२०२२
युवा वर्ग और बच्चों के अभिभावकों से जो प्रतिक्रियाएँ मिलीं वे लगभग एक-सी ही थी| नौकरी-पेशा लोगों के मध्य इन्टरनेट के बढ़ते चलन और आवश्यकता और उपयोगिता को लेकर यह दोनों ही पीढ़ी सजग लगी वहीं अधिक बैठक होने के कारण अपनी सेहत और मानसिक तनाव को लेकर चिंतातुर एवं रुष्ट भी लगी| परन्तु समय के साथ चलना तो होगा के स्लोगन को मन में गाँठ बाँधकर चलने में अपनी और देश का भविष्य निर्भर करता है इस बात से भी अधिकतर लोगों की सहमती नज़र आई तो कुछ के अनुसार पुराना समय ही सही था ऐसा उनका मानना था |
दूसरी ओर अभिभावक बच्चों में पुस्तकों के प्रति घटती अरुचि, शिक्षकों को सम्मान न देते हुए बच्चे...जैसी कई समस्याओं से जूझते नज़र आये| युवा- वर्ग के लिए लेक्चर को अटेंड करने को लेकर कोई विशेष उत्साह नज़र नहीं आया | पढ़ने-लिखने वाले बच्चे जो लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ना पसंद करते थे, वह अब एक पिंजरे के क़ैद हो गए हैं| पुस्तक से अधिक समझ में आता है की बात बहुत सारे युवा विद्यार्थियों ने कही| उनके अनुसार गूगल पर भी कई जानकारियों के अभाव की बात सामने आयी| ग्रुप-एक्टिविटीज सब बंद हो जाने से पढ़ाई मोनोटोनस लगने लगी है ऐसा उनका मानना है|
युवा और बच्चों में बढ़ते अपराध से अभिभावक लोग चिंतित नज़र आये| झूठ बोलना, चोरी करना, जुआ खेलना और इन जैसे कई अपराध वृति को बढ़ावा मिला है इस ऑनलाइन क्लास की आड़ में जैसी कई शिकायतें भी दर्ज की गयीं|
दिनांक २८ जनवरी, २०२२
क्योंकि हमारा उद्देश्य मुख्यतः स्कूली बच्चों को केंद्र में रखना था, सो इस हेतु हम काफी सतर्क और सजग रहे | और बहुत सारे बच्चों से बातचीत हुई तो अधिकतर बच्चों ने यही कहा, “अंकल, अभी तो हमारी क्लास है...|” और वह मेरे किसी प्रश्न का उत्तर देने को तैयार ही नहीं हुए | जैसे-तैसे कुछ बच्चों से बातचीत हो पायी तो कुछ ने कहा, “अच्छा हुआ...अब हमको सुबह जल्दी नहीं उठना पड़ता...वरना मम्मी सुबह-सवेरे जल्दी उठा देती थी| अब बिस्तर पर पड़े-पड़े पढ़ सकते हैं, वीडियों- म्यूट करके हम अपने मित्रों से चैट कर सकते हैं, गेम्स खेल सकते हैं...टीचर अपना पढ़ाती रहती है... और हम ...|”
वहीं कुछ इस शिक्षा-प्रणाली से बहुत खुश नज़र आये और उनके अनुसार, “अब हमारा अधिकांश समय पढाई-लिखाई में जाता है, स्कूल आने-जाने वाले समय में भी हम पढ़ सकते हैं| हम जो ऑफ-लाइन क्लास में बोल नहीं पाते थे, अपने को व्यक्त नहीं कर पाते थे...अब मेडम जब क्लास लेती हैं तो हम उनके पूछे सवालों का उत्तर दे पा रहे हैं, हममें कॉन्फिडेंस आ गया है, हमको बुक्स के साथ-साथ इन्टरनेट से भी पढ़ना मिल रहा है, बड़े-बड़े नोट्स बनाने की जरूरत नहीं पड़ती, एक साथ ही कई चीजों को देख और समझने को मिलता है|”
गरीब घर के बच्चों में भी दो वर्ग मिले| एक वर्ग ऐसा जिनके माता-पिता को अपने बच्चों के ऍनड्रोइड फ़ोन लेना पड़ गया और डाटा-पैक डलवाने का भार उठाने पर बाध्य होते नज़र आये| वहीं एक ऐसा तबका भी नज़र आया जो गरीबी रेखा के नीचे वाले परिवार से आते हैं, ऐसे बच्चों के पास जब रहने और एक वक्त की रोटी खाने के लिए भी लाले पड़े हुए थे, दूर-दराज गाँवों में जहाँ पानी और बिजली की आज भी समस्या है वहाँ जहाँ सामान्य पढ़ाई भी मुश्किल से हो पाती है, ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई का तो...|”
दिनांक: २८ फरवरी, २०२२
मेरे सामने अभी रेड-लाइट एरिया एवं विशेष बच्चों के चेहरे और उनके अभिभावकों के प्रश्नों के उत्तर ....
मौलिक, अप्रकाशित एवं अप्रसारित
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आदरणीय योगराज सर, इस रचना में आपके मार्गदर्शन की अभिलाषी हूँ! सादर!
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