For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तन-मन के दोहे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

तन-मन के दोहे
-------------------
चतुर लालची मन हुआ, भोली देह गँवार
जब तब जैसा मन कहे, होती वह तैयार।१।
*
सहज देह की भूख है, निदिया, रोटी, नीर
जग में पर बदनाम है, मन से अधिक शरीर।२।
*
तन को थोड़ा चाहिए, मन की माग अनंत
कहते मन बस में रखो, इस कारण ही सन्त।३।
*
बढ़े भावना काम की, करें नैन व्यभिचार
केवल साधन देह तो, मन साधक की मार।४।
*
तन से बढ़कर मन रहे, नित्य विषय में लीन
जिस की बातें मानकर, कर्म करे तन हीन।५।
*
विषय मुक्त जो मन रहे, चले न तन का जोर
नित्य विषय जग में करे, भीतर - बाहर शोर।६।
*
तन की केवल दो रहीं, मन की आँख अनेक
तभी झूठ सच छोड़कर, मन घुटने दे टेक।७।
*
मन में भरकर मत रखो, त्यागो विषय विकार
विषय मुक्त जीवन रहे, नित सुख का भण्डार।८।
*
गंगाजल में स्नान कर, गया न मन का पाप
विषय मुक्त है मन नहीं, भोगे तन अभिषाप।९।
*
तन से सब सन्यास लें, मन से लेता कौन
मन के पापों पर तभी, सब रहते हैं मौन।१०।

*

मौलिक.अप्रकाशित

लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 20, 2022 at 7:57pm

आ. भाई गुमनाम जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद। 

Comment by gumnaam pithoragarhi on May 19, 2022 at 4:32pm

वाह मुसाफिर जी वाह । शानदार दोहे हुए हैं । 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 15, 2022 at 10:42pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 15, 2022 at 10:40pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार।

Comment by Sushil Sarna on May 15, 2022 at 9:33pm
वाह आदरणीय जी लक्ष्मण धामी जी बहुत सुंदर और सार्थक दोहावली है सर हार्दिक बधाई सर
Comment by Samar kabeer on May 9, 2022 at 7:45pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, अच्छे दोहे रचे आपने ,बधाई स्वीकार करें I 

'तन को थोड़ा चाहिए, मन की माग अनंत'--इस पंक्ति में टंकण त्रुटि देखें I 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 7, 2022 at 5:57am

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, और स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद। आपको दोहे पसंद आये यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 6, 2022 at 10:00pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, तन और मन पर अच्छे दोहे रचे हैं आपने, 5वां, 8वां,9वां व 10वां दोहा के लिए ख़ास तौर पर बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service