For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मातृ दिवस पर गजल -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२

होता न माँ का तुझ पे जो अहसान आदमी
मिलते न राम -श्याम से भगवान आदमी।१।
*
चरणों में माँ के तीर्थ हैं दुनिया जहान के
समझा नहीं है आज भी यह ज्ञान आदमी।२।
*
माता बसी हो मन में तो शौतान मारकर
नारी का जग में करता है सम्मान आदमी।३।
*
गीता कुरान बाँचना तब ही सफल समझ
मन माँ का पढ़के जब हुआ इन्सान आदमी।४।
*
पढ़ने को माँ के रूप में केवल किताब इक
लिखने को लिख ले लाख तू दीवान आदमी।५।
*
चाहे पिता के नाम का सिर पर है ताज पर
सँस्कार माँ के बनते हैं पहचान आदमी।६।
*
आशीष माँ का तोड़ दे अभिषाप देव का
पाता न उस को पीड़ा दे उत्थान आदमी।७।
*
दुख से जो माता रोती है देते हैं ईश दण्ड
लेता नहीं है फिर भी क्यों संज्ञान आदमी।८।
*
मानव के नाम धरती पे केवल कलंक वो
करता नहीं है माँ का जो गुणगान आदमी।९।
*
रंगत भरेगा कौन वो माँ की ठसक से जो
जिस के बिना यूँ सूना है दालान आदमी।१०।
*
मौलिक-अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 26, 2022 at 6:34pm

आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार । 

Comment by नाथ सोनांचली on May 25, 2022 at 12:48pm

आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी सादर अभिवादन

बढ़िया माँ को समर्पित रचना है। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 15, 2022 at 10:06pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 15, 2022 at 10:05pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , उत्साहवर्धन व मार्गदर्शन के लिए आभार।

Comment by Sushil Sarna on May 15, 2022 at 9:31pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुंदर प्रस्तुति है सर हार्दिक बधाई सर
Comment by Samar kabeer on May 11, 2022 at 3:43pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I 

'गीता कुरान बाँचना तब ही सफल समझ
मन माँ का पढ़के जब हुआ इन्सान आदमी'--इस शे`र का ऊला मिसरा बह्र में नहीं है, क्योंकि "क़ुुुरआन" शब्द का वज़्न २२१ होता है,दूसरी बात दोनों मिसरों में रब्त भी नहीं है, देखिएगा I 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 7, 2022 at 6:00am

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन व सुझाव के लिए हार्दिक आभार। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 6, 2022 at 9:41pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं।

'गीता कुरान बाँचना तब ही सफल समझ' इस मिसरे में सहीह शब्द 'क़ुरआन' है, अतः 'क़ुरआन गीता बाँचना तब ही सफल समझ' कर सकते हैं।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 6, 2022 at 9:20pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by Sushil Sarna on May 6, 2022 at 8:26pm
वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत सुंदर और सार्थक सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"उड़ने की चाह आदत भी बन जाती है।और जिन्हें उड़ना आता हो,उनके बारे में कहना ही क्या? पालो, खुद में…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service