For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - ज़ुल्फ की जंजीर से ......

गजल- ज़ुल्फ की जंजीर से ......

2122 2122 2122 212


आश्ना  होते  अगर  हम  हुस्न  की  तासीर से
दिल लगाते हम भला क्यों ज़ुल्फ़ की ज़ंजीर से

खा रहे थे लाख क़समें जो हमारे प्यार की
दे गए वो दर्द लाखों इक नज़र के तीर से

हमसफ़र बन कर चले वो रास्ते में छोड़ कर
भर गए झोली  हमारी ग़र्द  की  जागीर  से

मंज़िलों  के  पास  आ  के  दूर  मंज़िंलें हो  गई
क्या गिला शिकवा करें हम धड़कनों के पीर से

बाद मुद्दत के मिले इक मोड़ पर हम इस तरह
ज़िन्दगी जैसे  मिले  रूठी  हुई  तक़दीर  से 

लफ़्ज़ सारे खो गए ख़ामोशियों के शोर में
ढूँढते हैं लम्स अपने जिस्म  की तहरीर में

सुशील सरना / 13-5-22
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 547

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2022 at 8:14pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 31, 2022 at 12:47pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन. अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on May 26, 2022 at 12:03pm
आदरणीय गुमनाम जी सृजन के भावों को मान देने और सुझाव का दिल से आभार
Comment by gumnaam pithoragarhi on May 25, 2022 at 10:26am

मंजिलों के पास आ के दूर मंजिल हो गई .. मंजिलों के बजाय  // मंजिल ॥  किया जा सकता है क्या 

शानदार गजल हुई है वाह .. 

Comment by Sushil Sarna on May 22, 2022 at 12:33pm
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रशंसा का एवं मार्गदर्शन का दिल से आभार सर । सहमत एवं निर्देशानुसार संशोधित । आपकी नज़रे इनायत का तहे दिल से शुक्रिया ।
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 22, 2022 at 11:26am

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल विधा में भी अपनी काव्यात्मक योग्यता साबित करने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें। मुहतरम समर कबीर साहिब ने अरकान की त्रुटि बताने के इलावा बहतर इस्लाह फ़रमाई है। कृपया ग़ज़ल के अरकान सहीह कर लें। हमें बताया गया है कि ग़ज़ल लिखते हुए कोमा, पूर्ण विराम आदि नहीं लगाना चाहिए। 

"आश्ना होते अगर हम हुस्न की तासीर से 

दिल लगाते हम भला क्यों ज़ुल्फ की जंजीर से" ख़ूबसूरत शे'र हुआ है, मगर सानी मिसरे में 'दिल लगाते' ऐब-ए-तनाफ़ुर और दोनों मिसरों में 'हम' शब्द खटक रहा है, मुनासिब समझें तो सानी मिसरा यूँ कर सकते हैं :

"दिल भला क्यों ही लगाते ज़ुल्फ़ की ज़ंजीर से"

शे'र नंo 4 की शेरियत पर काम करने की ज़रूरत है। 

भाषा की शुद्धता के लिये "ज़ुल्फ़, ज़ंजीर, क़समें, मंज़िलों, मंज़िज़िंदगी, तक़दीर, लफ़्ज़ और ख़ामोशियों" में नुक़्ता लगा लिजिए। 

Comment by Sushil Sarna on May 17, 2022 at 8:56pm
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन पर आपके अनुमोदन से बन्दे को तसल्ली हुई ।अरकान जल्दी में 2122 की जगह 2212 कर गया । इसके लिए क्षमा । त्रुटि को इंगित करने और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय ।सहमत एवं संशोधित ।सादर नमन
Comment by Samar kabeer on May 17, 2022 at 6:34pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है, और इस विधा में भी आप कामयाब हुए,हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

अरकान आपने ग़लत लिखे हैं,इस ग़ज़ल के अरकान ये हैं:-

2122 2122 2122 212

'भर गए झोली  हमारी ग़र्द  की  जागीर  से'

इस मिसरे में 'ग़र्द' को "गर्द" कर लें ।

'क्या गिला शिकवा करें हम धड़कनों के पीर से'

इस मिसरे में 'के' को "की" कर लें "पीर' शब्द स्त्रीलिंग है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
49 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service