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तथागत बुद्ध वंदना (दुर्मिल सवैया पर आधारित)

गहरे तुम ध्यान समाधि लिए  अभया  अमिताभ गतागत हो
मुनि सोच पुनीत अथाह धरे  करते  सबका  हिय स्वागत हो
मुखमंडल तेज लगे इस भांति कि सत्य विनायक आगत हो
तुम पंकज मध्य सुवासित सम्यक  गौतम  बुुद्ध तथागत हो।।1

तप से तप  धम्म सहिष्णु बने न किसी पर स्थावर क्रुद्ध हुए
जब तर्क अकाट्य सुना  जग ने सब ढोंग प्रपंच निरूद्ध हुए
अरु हिंसक वृत्ति रुकी जग की जन कर्म विचार विशुद्ध हुए
अपना सब दीप  स्वयं बनिये  कह  गौतम  से मुनि बुद्ध हुए।।2

नाथ सोनांचली

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by नाथ सोनांचली on June 10, 2022 at 2:30pm

आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी सादर अभिवादन।

आप जैसा कह रहे हैं वैसा करने पर गण गड़बड़ हो जायेगा न// 

इसका विधान

सलगा ×8 अर्थात

112  112  112  112.  112  112. 112. 112

है।

आभार आपका

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 10, 2022 at 8:54am

आ. भाई सोनांचली जी, सादर अभिवादन। सुन्दर रचना हुई है। हार्दिक बधाई। 

मेरे हिसाब से प्र थम पंक्ति में " तुम गहरे ध्यान समाधि लिए " होना चाहिए । सादर...

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