पाँच दोहे मेघों पर . . . . .
अम्बर में विचरण करे, मेघों का विस्तार ।
सावन की देने लगी, दस्तक अब बौछार ।।
मेघों का मेला करे, अम्बर का शृंगार ।
आज दिवाकर लग रहा, थोड़ा सा लाचार ।।
थोड़ी सी है धूप तो, थोड़ी सी बरसात ।
अम्बर में आदित्य को, बादल देते मात ।।
बादल नभ को चूमते, पहन श्वेत परिधान ।
हंसों की ये टोलियाँ, आसमान की शान ।।
नील वसन पर कर दिया, मेघों ने शृंगार ।
धरती पर चलने लगी, शीतल मस्त बयार ।।
सुशील सरना / 24-6-22
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। पावस पर सुन्दर दोहावली हुई है। हार्दिक बधाई।
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, वर्षा ऋतु के आगमन पर सुंदर दोहावली हुई है, हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
नमस्कार, आदरणीय सुशील सरना साहब, सुन्दर मेघ- दोहावली रची, आपने ! आ. यदि आप अन्यथा न ले, 'संसार' होते विचरण का रूप सहज आत्मसात नहीं होता, सो, कदाचित विस्तार अपेक्षाकृत श्रेयस्कर शब्द है । शेष दोहे , कहना न होगा, मुझे अच्छे लगे, बंधुवर !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online