गुनगुन करता गीत नया है,
क़दम बढ़ाता मीत नया है
*
दर्द दिखा हर ओर भरा है,
अचरज है हर पोर भरा है,
शब्दों में खामोशी जितनी,
भीतर उतना शोर भरा है।
कानों ने सुनकर उफ़ बोला,
अद्भुत और अतीत नया है।
*
काटे पग-पग जाले कितने,
और इरादे पाले कितने,
गिन पाने का धैर्य कठिन है,
पैरों में हैं छाले कितने।
कहा सभी, कुछ कह न सका,
अनुदित कर्णातीत नया है।
*
मानचित्र सी खिंची लकीरें,
लिखती हैं कैसी तकदीरें,
पढ़कर भी विश्वास न होता,
आँखों पर भी हैं जंजीरें।
भाव लेखनी लिख न सकी जो,
वह सब शब्दातीत नया है।
#
मौलिक/अप्रकाशित.
Comment
आदरणीय अशोक जी बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण गीत के लिए बधाई...
आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत गीत रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर
आदरणीय सुशील सरना साहब सादर प्रस्तुत गीत रचना पर उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभार आपका. सादर
आदरणीय अशोक रक्ताले जी आदाब, उदाहरणीय गीत की रचना हुई है,
बधाई स्वीकार करें।
इस रचना की सभी पंक्तियाँ 16 मात्रा पर हैं लेकिन ये पंक्ति :-
'कहा सभी, कुछ कह न सका'--14 मात्रिक है ,देखिएगा I
सादर नमस्कार आदरणीय समर कबीर साहब. जी ! असावधानीवश मात्राएँ कम रही हैं.कृपया इंगित पंक्ति को इसतरह पढ़ें / कहा सभी, पर कह न सका वो,/ . प्रस्तुति पर उपस्थिति और त्रुटि इंगित करने के लिए आपका हृदय से आभार.सादर
जनाब अशोक रक्ताले जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I
इस रचना की सभी पंक्तियाँ 16 मात्रा पर हैं लेकिन ये पंक्ति :-
'कहा सभी, कुछ कह न सका'--14 मात्रिक है ,देखिएगा I
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