क्यों आज तुम्हे अब चैन नहीं है महलों में?,
Comment
जन जन की भावना को स्वर दिया है आशीष जी बहुत ही तेवरदार और सामाजिक सरोकार की रचना | इसके लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
बहुत आक्रामक तेवर... कविता की हद को तोड़कर अपनी ही शैली में बातें... वाह... बढ़िया... जनशैली में जनकविता... बधाई..
बहुत सुन्दर .. .
आशीष जी हमारी तरफ से हार्दिक बधाई, एक सशक्त अभिव्यक्ति के लिए वास्तविक चित्रण सामायिक परिस्थिथियो का...........
सुन्दर विचार और सशक्त अभिव्यक्ति आशीष जी हार्दिक बधाई !!
ये पंक्तियाँ विशेष रूप से पसंद आयीं -
" क्यों आज तुम्हे अब चैन नहीं है महलों में?,
nice job...
आशीष युवा आक्रोश को आपने स्वर दिया है इस कविता के माध्यम से , बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें इस खुबसूरत अभिव्यक्ति पर |
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