For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है अर्ज़ जो तेरी मैं दूँगी उसे सुना,
हौले से मेरे कान में कहती है ये सबा;
*
अल्फ़ाज़ बहुत आसमाने दिल पर उमड़ रहे हैं,
कोई नहीं बरसता मगर बनकर मेरी दुआ;
*
देखी तेरी ख़ुदाई तेरी क़ायनात में,
माँगा था बस एक शख़्स को वो भी नहीं मिला;
*
तू मुफ़्त में जो दे रहा है ऐ दिले नादाँ,
देकर कोई भी क़ीमत हासिल नहीं वफ़ा;
*
बरसों से मैं सफ़र में ही मुब्तला रहा,
अब भी वहीं खड़ा हूँ जिस दिन था मैं चला;
*
मेरे गिर्दो पेश की हर शै पे तेरा नाम है,
ये शफ़क़ोशम्स और ये महताब, ये हवा;
*
‘वाहिद’ न जाने कब से, पत्थर थीं ये आँखें,
छू लीं तो हाथ भीग गए, भर गया गला;

******

मुब्तला - शामिल ; गिर्दो पेश - आसपास ; शफकोशम्स - किरणें और सूरज ;

Views: 744

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज लाली बटाला on March 8, 2012 at 9:26pm

बहत खूब 

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 4:20pm

आदरणीया नीरजा जी आभार आपका|

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 4:20pm

बहुत-बहुत शुक्रिया राकेश जी| आपके लिए अर्थ यहीं दे दे रहा हूँ - मुब्तला - शामिल, गिर्दो पेश - आसपास, शफकोशम्स - किरणें और सूरज, 

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 3, 2012 at 3:15pm

आपके एक फरमाइश भी है, की क्लिष्ट शब्दो के अर्थ नीचे लिख दें. धन्यवाद.

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 3, 2012 at 3:15pm

वाहिद भाई नमस्कार, बहुत सुंदर मुक्त शेर कहे हैं, "अब भी वहीं खड़ा हूँ जिस दिन था मैं चला". बहुत खूब. दिली शाबाशी

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 1:48pm

प्रशंसा के लिए तहे दिल से शुक्रिया मृदु जी| साभार,

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 12:38pm

सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 12:18pm

आदरणीय योगराज जी,

प्रशंसा के लिए शुक्रिया अदा करता हूँ|

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 12:17pm

मित्र वीनस जी आपका आभारी हूँ|

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 12:17pm

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम| आप सभी अनुभवी जनों से यही अपेक्षा है कि आप मेरा मार्गदर्शन करेंगे ताकि मैं और निखर कर सामने आ सकूँ| प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभारी हूँ|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , चित्र के हर बिंदु का आपने रचना में उतार दिया है , बहुत बढ़िया , बहुत बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय भाई दिए हुए चित्र पर  बहुत सुन्दर छंद रचे हैं आपने ,  पेड़ रहा था सोच, कि…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , हमेशा की तरह आपकी ये क्छ्न्दा रचना भी बहुत बढ़िया हुई है | आपको हार्दिक…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    रोला छंद * सीढ़ी  पर  है  एक, तीन  दीवारों  पर। लगते है शिशु…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी , चित्र के अनुरूप आपकी छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाई  चित्र को बखूबी चित्रित कर रही है आपकी रचना , हार्दिक बधाइयाँ आपको "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय बड़े भाई , आभार आपका "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"मिले बहुत दिन बाद, चूस कर खाने वाले, गूदे से मुँह-हाथ, गाल लिपटाने वाले,.....अहा! बहुत सुन्दर…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, रोला छंदों की प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रचना पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत-बहुत आभार आदरणीय मयंक जी.. सादर "
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service