अरे शिकवा नहीं कोई,शिकायत क्या करू तुझसे?
वली है तू सनम मेरा,इबादत की इजाजत दे||१||
बहुत अब देख ली दुनिया,नहीं अब देखना कुछ भी|
लहर उठती नहीं कोई कयामत की इजाजत दे||२||
मुझे खामोश करने पर अमादा है सियासत क्यों?
मेरा दिल भी धडकता है,मुहब्बत की इजाजत दे||३||
मेरी आँखों में पानी की नहीं बूंदे, है चिंगारी|
हुए हैं लोग मुर्दा तो फिर आतस की इजाजत दे||४||
चला था कारवां लेकर मेरा रहबर ही रहजन था|
नहीं है मानना अब कुछ तू आफत की इजाजत दे||५||
मेरे भी पास खंजर है, तेरे भी पास खंजर है,
जो लड़ना है तो खुल के आ,अदावत की इजाजत दे||६||
बहकते है बशर क्या खुद फ़रिश्ते नौजवानी में|
गिला है क्यों तुझे मुझसे,सदाकत की इजाजत दे||७||
Comment
छंदबद्ध और सरलतम निकले हैं उदगार|
गुरुवर का आशीष है,भाई को आभार|
भाई आशीष जी आपकी काव्यात्मक प्रतिक्रिया को सादर नमन|
आदरणीय शाही जी,
मैं तो आपके कथन शक्ति का कायल हूँ,यह बात अलग है की मैं अधिकतर तरन्नुम में लिखता हूँ और आप अधिकांशतः तहद में लिखते है फिर भी आपके प्रत्येक आलेख में भाषा का वाह प्रवाह है जो आपके आलेखों को एक गद्यगीत से थोडा सा भी कमतर नहीं होने देते|भाषा से मेरा हमेशा लगाव रहा है इसमें प्रतिभा जैसी कोई बात नहीं|आपका हार्दिक आभार|विलम्बित प्रतिक्रिया के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|
धन्यवाद प्रदीप सर|
आपके प्रोत्साहन की सदैव प्रतीक्षा रहेगी|देर के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|
आदरणीया सीमा जी,
आपके प्रतिक्रया व प्रोत्साहन का शुक्रिया|देर के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|धन्यवाद|
आदरणीय सौरभ सर..
मैं अभिभूत हुआ..बहुत बहुत धन्यवाद|देर से प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|
भाई विन्ध्येश्वरी जी आपकी प्रतिक्रिया पर बहुत देर के बाद नजर पड़ी, इसके लिए ह्रदय से क्षमाप्रार्थी हूँ|आपकी स्नेहसिक्त प्रतिक्रया का हार्दिक आभार|
मैं तो आनंद ही ले रहा हूँ. बधाई.
कहा तो फुटकर अश’आर मगर शे’र संकलन बनाते हैं.
बढिया प्रयास के लिये हार्दिक बधाई.
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