For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीनो धरम,ईमान के हाइल हैं यहाँ पर|
मैं इल्म किसे दूँ,सभी जाहिल हैं यहाँ पर|

.
नादान बशर रो रहा जिस शख्स के आगे,
वह शख्स कहीं और है,गाफिल है यहाँ पर

.

मैं अपना सारा जोर अमल में हूँ ला रहा,
कुछ बात है जो सिफ़र ही हासिल है यहाँ पर|

.
साकी उसूल तेरा तिजारत है मयकदा,
मयख्वार मेरे वास्ते कामिल हैं यहाँ पर|

.
आतिश है,कफस,आशियां है,बाग है,बुलबुल,
सब एक दूसरे के मुक़ाबिल है यहाँ पर|

.
अंदर से टूटे लोगों की जमात है दुनिया|
बस कहने के ही वास्ते महफ़िल है यहाँ पर|

.
तू डर रहा मयंक क्यों पैगामे अजल से,
जल्लाद है आलम,सभी कातिल हैं यहाँ पर|

Views: 677

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2012 at 10:51am

भाई मनोज जी, आपकी इस गंभीर प्रस्तुति को मरी बधाई.

मैं अपना सारा जोर अमल में हूँ ला रहा,
कुछ बात है जो सिफ़र ही हासिल है यहाँ पर|

बहुत अच्छे.. .

Comment by Sarita Sinha on April 15, 2012 at 11:36pm

बहुत खुबसूरत ग़ज़ल मनोज जी, 

सारी तारीफ नीचे हो चुकी है, बेहतर है कि मैं कुछ न कह कर सिर्फ पढ़ने का आनंद उठाऊँ ....
हाँ एक कमी है, बहुत जल्दी ख़त्म हो गयी....
Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 5, 2012 at 9:56pm

आदरणीय हबीब भाई...

मनोबल बढ़ाने वाली उत्साहजनक टिप्पडी हेतु हार्दिक बधाई....सादर वंदे

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on April 5, 2012 at 2:59pm

वाह! वाह! बहुत सुन्दर ग़ज़ल मयंक भाई...

हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 3, 2012 at 10:51pm

आदरणीय जवाहर जी,योगराज सर,श्रद्धेय शाही जी,प्रिय अग्रज,संदीप भाई,आदरणीया राजेश जी,प्रदीप सर,आशीष भाई और राकेश भाई ...आप सभी की सराहना का तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ|सादर वंदे

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 3, 2012 at 10:44pm

वाह वाह श्री मनोज भाई, बहुत खूब! शानदार! दाद कुबूल करें.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 3, 2012 at 4:36pm

rachna feature hone par badhai swikar karn.

Comment by आशीष यादव on April 3, 2012 at 1:12pm

उम्दा ग़ज़ल,

बधाई स्वीकार करें 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 3, 2012 at 1:07pm

snehi manoj ji, sadar. sare ke sare ashaar achhe, kise sabse bahiya kahoon, vah vah.

main fankar nahi fan ka rasiya hoon

sagar pila de in boondon se kya hansil

ek najar ko tarsta pradip dware pe baitha hoon....tukbandi pesh hai. badhai.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 3, 2012 at 1:02pm

bahut sundar ghazal bani hai.Manoj ji.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service