For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीनो धरम,ईमान के हाइल हैं यहाँ पर|
मैं इल्म किसे दूँ,सभी जाहिल हैं यहाँ पर|

.
नादान बशर रो रहा जिस शख्स के आगे,
वह शख्स कहीं और है,गाफिल है यहाँ पर

.

मैं अपना सारा जोर अमल में हूँ ला रहा,
कुछ बात है जो सिफ़र ही हासिल है यहाँ पर|

.
साकी उसूल तेरा तिजारत है मयकदा,
मयख्वार मेरे वास्ते कामिल हैं यहाँ पर|

.
आतिश है,कफस,आशियां है,बाग है,बुलबुल,
सब एक दूसरे के मुक़ाबिल है यहाँ पर|

.
अंदर से टूटे लोगों की जमात है दुनिया|
बस कहने के ही वास्ते महफ़िल है यहाँ पर|

.
तू डर रहा मयंक क्यों पैगामे अजल से,
जल्लाद है आलम,सभी कातिल हैं यहाँ पर|

Views: 670

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2012 at 10:51am

भाई मनोज जी, आपकी इस गंभीर प्रस्तुति को मरी बधाई.

मैं अपना सारा जोर अमल में हूँ ला रहा,
कुछ बात है जो सिफ़र ही हासिल है यहाँ पर|

बहुत अच्छे.. .

Comment by Sarita Sinha on April 15, 2012 at 11:36pm

बहुत खुबसूरत ग़ज़ल मनोज जी, 

सारी तारीफ नीचे हो चुकी है, बेहतर है कि मैं कुछ न कह कर सिर्फ पढ़ने का आनंद उठाऊँ ....
हाँ एक कमी है, बहुत जल्दी ख़त्म हो गयी....
Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 5, 2012 at 9:56pm

आदरणीय हबीब भाई...

मनोबल बढ़ाने वाली उत्साहजनक टिप्पडी हेतु हार्दिक बधाई....सादर वंदे

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on April 5, 2012 at 2:59pm

वाह! वाह! बहुत सुन्दर ग़ज़ल मयंक भाई...

हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 3, 2012 at 10:51pm

आदरणीय जवाहर जी,योगराज सर,श्रद्धेय शाही जी,प्रिय अग्रज,संदीप भाई,आदरणीया राजेश जी,प्रदीप सर,आशीष भाई और राकेश भाई ...आप सभी की सराहना का तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ|सादर वंदे

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 3, 2012 at 10:44pm

वाह वाह श्री मनोज भाई, बहुत खूब! शानदार! दाद कुबूल करें.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 3, 2012 at 4:36pm

rachna feature hone par badhai swikar karn.

Comment by आशीष यादव on April 3, 2012 at 1:12pm

उम्दा ग़ज़ल,

बधाई स्वीकार करें 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 3, 2012 at 1:07pm

snehi manoj ji, sadar. sare ke sare ashaar achhe, kise sabse bahiya kahoon, vah vah.

main fankar nahi fan ka rasiya hoon

sagar pila de in boondon se kya hansil

ek najar ko tarsta pradip dware pe baitha hoon....tukbandi pesh hai. badhai.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 3, 2012 at 1:02pm

bahut sundar ghazal bani hai.Manoj ji.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
8 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गिरह भी अच्छी लगी है। हार्दिक बधाई।"
33 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।  6 सुझाव.... "तू मुझे दोस्त कहता है…"
36 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय जी, //अगर जान जाने का डर बना रहे तो क्या ख़ाक़ बग़वत होगी? इस लिए, अब जब कि जान जाना…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//'इश्क़ ऐन से लिखा जाता है तो  इसके साथ अलिफ़ वस्ल ग़लत है।//....सहमत।"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमित जी, बहुत धन्यवाद।  1 अगर जान जाने का डर बना रहे तो क्या ख़ाक़ बग़वत होगी? इस लिए,…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ख़ुदकुशी आ गई है आदत में अब मज़ा आएगा बग़ावत में /1 आदत मतलब…"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service