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निजत्व की खातिर

निजत्व की खातिर
कर्तव्यो की बलिवेदी से
कब तक भागेगा इन्सान
ऋण कई हैं
कर्म कई हैं
इस मानव -जीवन के
धर्म कई हैं
अचुत्य होकर इन सबसे
क्या कर सकेगा
कोई अनुसन्धान
कई सपने हैं
कई इच्छाये हैं
पूरी होने की आशाये हैं
पर विषयों के उद्दाम वेग से
कब तक बच सकेगा इन्सान
भीड़-भाड़ है
भेड़-चाल है
दाव-पेंच के
झोल -झाल है
इनसे बच कर अकेला
कब तक चलेगा इन्सान
कौन है ईश्वर
जीवन क्या है
मै कौन हूँ
क्यूँ आया हूँ
जिज्ञासायों के कई भंवर हैं
डूब के इनमे
अपनों से कब तक
मुख मोड़ सकेगा इन्सान

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Comment by MAHIMA SHREE on May 3, 2012 at 2:58pm
आदरणीय प्रवीन सागर जी व् गौरव जी ..
आप दोनों का ह्रदय से धन्यवाद
Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 3, 2012 at 12:11pm

नमस्कार महिमा जी, बहुत अच्छी रचना, बधाई आपको|

Comment by MAHIMA SHREE on April 19, 2012 at 11:10am
आदरणीया शन्नो दीदी ,
सादर प्रणाम ,आपका ह्रदय से धन्यवाद , स्नेह बनाए रखे
Comment by Shanno Aggarwal on April 18, 2012 at 11:06pm

बहुत सुंदर रचना. महिमा श्री, आपको इस सर्वश्रष्ठ रचना पर बहुत-बहुत बधाई. 

Comment by MAHIMA SHREE on April 18, 2012 at 5:09pm
आदरणीया वंदना जी
नमस्कार,
बहुत-२ धन्यवाद आपका , आभारी हूँ
Comment by MAHIMA SHREE on April 13, 2012 at 2:19pm
आदरणीय अजय जी ,
नमस्कार , स्वागत है आपका , आपको अच्छी लगी , आपने सराहा , आपका हार्दिक धन्यवाद
Comment by AjAy Kumar Bohat on April 13, 2012 at 9:45am
Atee sundar rachana, badhai sweekar karein Mahima ji...
Comment by MAHIMA SHREE on April 10, 2012 at 5:02pm
आदरणीय राजेश दी ,
सादर नमस्कार , आप मार्मिक विछोह से गुजर रही थी इस बात का मुझे बेहद अफ़सोस है और ख़ुशी भी है आप उस दुःख बहार निकल आई और अपने सभी कर्तव्यों का निर्वहन करने लगी है..
आपने कहा ये रचना पढ़ कर दिल खुश हो गया ..इससे बड़ा कॉम्प्लीमेंट और कुछ नहीं हो सकता आपका ह्रदय की गहराइयों से धन्यवाद , आभारी हूँ , स्नेह बनाये रखे..
Comment by MAHIMA SHREE on April 10, 2012 at 4:52pm
आदरणीय मुकेश जी ,
नमस्कार , स्वागत है आपका , आपको अच्छी लगी , आपने सराहा , आपका हार्दिक धन्यवाद , आपके आलेख जरुर पढूंगी..

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Comment by rajesh kumari on April 10, 2012 at 9:57am

main khud se hairaan hoon ki itni sundar rachna mere padhe bina kaise chhoot gai aaj fir aapki is post ki data dekhi sab clear ho gaya us vaqt me baahar gai hui thi apni mom ke antim safar me kuch din gamgeen thi .

atah aaj ye rachna padhkar dil khush ho gaya really this creation deserve appreciation.ati sundar,sashaqt abhivyakti.

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