दीनो धरम,ईमान के हाइल हैं यहाँ पर|
मैं इल्म किसे दूँ,सभी जाहिल हैं यहाँ पर|
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नादान बशर रो रहा जिस शख्स के आगे,
वह शख्स कहीं और है,गाफिल है यहाँ पर
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मैं अपना सारा जोर अमल में हूँ ला रहा,
कुछ बात है जो सिफ़र ही हासिल है यहाँ पर|
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साकी उसूल तेरा तिजारत है मयकदा,
मयख्वार मेरे वास्ते कामिल हैं यहाँ पर|
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आतिश है,कफस,आशियां है,बाग है,बुलबुल,
सब एक दूसरे के मुक़ाबिल है यहाँ पर|
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अंदर से टूटे लोगों की जमात है दुनिया|
बस कहने के ही वास्ते महफ़िल है यहाँ पर|
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तू डर रहा मयंक क्यों पैगामे अजल से,
जल्लाद है आलम,सभी कातिल हैं यहाँ पर|
Comment
लाजवाब ग़ज़ल मनोज भाई!! नीचे आदरणीय योगराज जी ने इतना कुछ कह दिया है कि मेरे लिए कुछ बचा ही नहीं| तो ख़ाकसार की ओर से बधाई ही क़ुबूल कर लें| :)))
वाह वाह वाह तू डर रहा मयंक क्यों पैगामे अजल से,
जल्लाद है आलम,सभी कातिल हैं यहाँ पर| .............बेहतरीन उम्दा .......जय भारत
///दीनो धरम,ईमान के हाइल हैं यहाँ पर|
मैं इल्म किसे दूँ,सभी जाहिल हैं यहाँ पर|//
बेहतरीन मतला - उम्दा ख्याल. वाह वाह वाह. .
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.//नादान बशर रो रहा जिस शख्स के आगे,
वह शख्स कहीं और है,गाफिल है यहाँ पर//
क्या कहने हैं मयंक साहिब, बहुत खूब.
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//मैं अपना सारा जोर अमल में हूँ ला रहा,
कुछ बात है जो सिफ़र ही हासिल है यहाँ पर|/
यह शेअर आपकी लगन और संघर्ष की कहानी बयान कर रहा है. बहुत सुंदर.
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//साकी उसूल तेरा तिजारत है मयकदा,
मयख्वार मेरे वास्ते कामिल हैं यहाँ पर|//
वाह वाह वाह, रिवायती रंगत का यह शेअर भी बढ़िया कहा है आदरणीय मयंक जी. .
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//आतिश है,कफस,आशियां है,बाग है,बुलबुल,
सब एक दूसरे के मुक़ाबिल है यहाँ पर|//
वाह मयंक साहिब वाह क्या तेवर हैं ऊला में - कमाल !! हासिल-ए-ग़ज़ल शेअर.
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//अंदर से टूटे लोगों की जमात है दुनिया|
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//तू डर रहा मयंक क्यों// पैगामे अजल से,
जल्लाद है आलम,सभी कातिल हैं यहाँ पर|/ /
मक्ता भी बहुत ही सुंदर कहा है. इन खूबसूरत आशार के लिए मेरी दिली मुबारकबाद कबूल फरमाएं आदरणीय मयंक साहिब.
बहुत ही अच्छी रचना मनोज भाई! बधाई
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