अहसास
श्वेत वसन में लिपटा जीवन
जन गण का सम्मान लिए !
चूसें रक्त सदा वे विचरें
कानून न उन पर हाथ धरे !!
भले दीखते ऊपर ही चंगे
जब मन को साफ रखे ना !
सजे सजाये फिर भी नंगे
घर पर साँप को माफ़ करे न !!
तिलक लगाये मिश्री घोलें
कामुक छुप आघात करें !
विनय न मानें हठ ही जानें
चाबुक पर ही नाच करें !!
ह्रदय समाये पर निंदा
शिशु, नारी का अपमान करें !
घर फोड़े लहू की होली खेलें
भिक्षु अनाथ पे वार करें !!
उपहास करें चिथड़ों में देखें !
इतिहास कहे मरू में वे तडपें !!
अहसास करें -ईश ईश तब आह भरें !
मति ह्रास -कटे पर- अपने भी दें छोड़ उन्हें !!
भ्रमर कहें बंधुत्व शांति पर पीड़ा का जो ध्यान रखें !
भूकंप न छेड़े -धरती न फटे -तूफान भी कश्ती पार करे !!
मन प्राण खिले अमरत्व मिले ईहा लिप्सा जब त्याग करें !
उन्मुक्त फिरें बिगड़ी भी बने मुस्कान ही तृप्ति -प्यार मिले !!
भ्रमर5
Comment
आदरणीय दीपक शर्मा कुल्लवी जी आप इस देव नगरी कुल्लू से हैं मित्र के रूप में पा और प्रोत्साहन पा बड़ी ख़ुशी हुयी यों तो हम तो ठहरे परदेसी लेकिन आप की वादियों में हैं इस लिए आप के ही हैं अभी और मित्र हैं तो सदा के लिए जय श्री राधे
wonderful...rachnayen sir
deepak sharma kuluvi
09350078399
सोचने को विवश करती रचना हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं श्री सुरेन्द्र जी !!
स्नेही भ्रमर जी ,,अति उच्च भाव युक्त प्रवाहमयी रचना के लिए आपका हार्दिक आभार .....
भावों को खूबसूरती से पिरोया है आपने भ्रमर जी
बहुत ही बढ़िया भाव
बहुत सुन्दर कविता,आदरणीय भ्रमर जी.
संवेदनशील रचना के लिए हार्दिक बधाई भ्रमर जी! स्वागतम आपका मंच पर|
भ्रमर कहें बंधुत्व शांति पर पीड़ा का जो ध्यान रखें !
भूकंप न छेड़े -धरती न फटे -तूफान भी कश्ती पार करे !!
आदरणीय भ्रमर जी, सादर , अपने भावों को आप जिस प्रकार रचते हैं. काबिले तारीफ होता है. बधाई!
आदरणीय भ्रमर जी, सादर , अपने भावों को आप जिस प्रकार रचते हैं. काबिले तारीफ होता है. बधाई.
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