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लघुकथा : कवच

पूरे मोहल्ले में यह चर्चा थी कि गुड़िया को एड्स की बीमारी है | दरअसल उसका पति एक सरकारी मुलाज़िम था जो कि सिर्फ़ २५ वर्ष की आयु में ही अचानक किसी रहस्यमयी बीमारी का शिकार होकर दुनिया छोड़ गया था | एड्स पर काम कर रही एक स्वयंसेवी संस्था के कार्यकर्ता बहुत समझा-बुझा कर गुड़िया को एड्स की जाँच करवाने अपने साथ ले गए थे | गुड़िया को जो सरकारी पेंशन मिलती थी उसी से किसी तरह अपना जीवन यापन कर रही थी |
 
जाँच करने वाले डॉक्टर ने बड़ी हैरानी से पूछा कि रिपोर्ट में तो तुम्हें कोई बीमारी नहीं है, तुम तो बिल्कुल स्वस्थ हो, फिर यह एड्स का अफ़वाह क्यों ? तुम लोगों को मुँहतोड़ जवाब क्यों नहीं देती ? हाथ जोड़ कर गुड़िया बोली,"डॉक्टर साहिब, आप से विनती है यह बात किसी से भी मत कहिएगा, एक जवान बेवा अपनी इज़्ज़त खूँखार भेड़ियों से अभी तक इसी अफ़वाह के सहारे ही बचाती रही है, भगवान् के लिए मेरा यह कवच मुझ से मत छीनिए...... !"

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 24, 2012 at 9:58am

बहुत बहुत आभार आदरणीया रेखा जोशी जी |

Comment by Rekha Joshi on May 20, 2012 at 11:35am

आदरणीय बागी जी ,अपनी इज्ज़त की खातिर औरत को कैसे कैसे कवच ओढ़ने पड़ते है |बढ़िया रचना ,बढ़िया प्रस्तुति,बधाई  


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 2, 2012 at 10:26am

प्रिय शैलेन्द्र मृदु जी, आभार आपका |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 25, 2012 at 10:05am

आदरणीय श्री अम्बरीश भाई , सराहना हेतु बहुत बहुत आभार |

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 24, 2012 at 11:19pm

आदरणीय बागी सर सादर नमन, इस लघु कथा में यथार्थ के  मार्मिक चित्रण पर  ह्रदय से हार्दिक बधाई स्वीकार करें

Comment by Er. Ambarish Srivastava on April 24, 2012 at 1:57pm

आदरणीय भाई बागी जी ! दिमाग को सन्न कर देने वाली कथ्य और शिल्प के लिहाज़ से एकदम सधी हुई इस सशक्त रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें !

आज के इस खतरनाक दौर में भरी जवानी में विधवा हुई इक सती सावित्री को अपनी अस्मत बताने के लिए क्या क्या लांछन सहन नहीं करने पड़ते......यहाँ तक कि वह एड्स जैसी खतरनाक बीमारी की झूठी चादर ओढ़ने को विवश है ......

Comment by Shubhranshu Pandey on April 23, 2012 at 7:25pm

हा....हा.....लाला भाई ने ही तो परदा कहानी की याद दिलाई है...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 21, 2012 at 4:02pm

धन्यवाद शुभ्रांशु भाई ..हो सके तो एक बार लाला भाई को भी यह लघु कथा पढ़वा दीजियेगा :-)


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 21, 2012 at 4:01pm

प्रणाम आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, यह सब आप बड़ों का आशीर्वाद और माँ सरस्वती की कृपा है | सराहना हेतु आभार आपका |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 21, 2012 at 4:00pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया वंदना गुप्ता जी |

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