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ब्रिज भाई धन्यवाद |
आदरणीय प्रधान संपादक जी, लघु कथा के पुरोधा से तारीफ़ पाना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है, यह बताना भी यहाँ यथोचित है कि लघु कथा सृजन कि प्रेरणा मुझे आप से ही मिली है |
बहुत बहुत आभार आदरणीय |
जबरजस्त ....दिमाग शन्न कर गयी ये लघु कथा |
आदरणीय अरुण कान्त शुक्ला जी , कहानी पसंद करने हेतु धन्यवाद आपका |
आदरणीय अरुण अभिनव जी, आपकी सराहना सकरात्मक उर्जा का संचरण करती हुई प्रतीत होती है, बहुत बहुत आभार आपका |
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, आप की टिप्पणी एक तरह से अनुमोदन है कि मैं लघु कथा लिख पा रहा हूँ :-) सच कहूँ तो एक तरह से सबल मिला है आगे कुछ और करने हेतु, बहुत बहुत आभार |
समाज की वास्तविकता को उजागर करती कहानी , वो भी आधुनिकता लिए हुए . बधाई स्वीकार करें .
भाई गणेशजी, शब्दशः सधे हुए इस लघुकथा के लिये आपको हृदय से बधाई तो दे ही रहा हूँ, मैं तो अभिभूत हूँ, इस लघुकथा के शिल्प पर जो शीर्षक, कथ्य से लेकर आखिरी पंक्ति तक कसावट के लिहाज से भी लघुकथा के अनुशासन को जीता हुआ है.
इस सशक्त प्रयास द्वारा आपने ओबीओ मंच पर लघुकथा लेखकों के लिये एक उदाहरण प्रस्तुत किया है.
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