For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आगॆ बढ़ कॆ बता,,,,
------------------------------------
 हिम्मत है तॊ आगॆ बढ़ कॆ बता ॥
बिहार वाली ट्रॆन मॆं चढ़ कॆ बता ॥१॥

बिना टिकट गांव चला जायॆगा,
म.न.सॆ वालॊं सॆ झगड़ कॆ बता ॥२॥

अरबी- फ़ारसी झाड़ता है बहुत,
तू चायनीज़ गज़ल पढ़ कॆ बता ॥३॥

चॊर कह कॆ भिखारी कॊ पकड़ा,
वर्दी वाला चॊर तॊ पकड़ कॆ बता ॥४॥

भाव-बॆभाव डंडॆ पड़ॆंगॆ दॆख फिर,
उस सॆ भी जरा अकड़ कॆ बता ॥५॥

गरीब कॆ गाल पॆ तमाचा दिया,
अमीर कॆ गाल पॆ जड़ कॆ बता ॥६॥

भॆंड़ॊं कॆ सामनॆ मूंछॆं उमॆंठता है,
भॆड़ियॆ कॆ सामनॆ रगड़ कॆ बता ॥७॥

शायर समझ कॆ लड़ता क्या बॆ,
इरफ़ान दादा सॆ तॊ लड़ कॆ बता ॥८॥

खॊदता है खड्डा गैरॊं कॆ वास्तॆ,
खुद भी तॊ उसमॆं गड़ कॆ बता ॥९॥

बात बात पॆ बिगड़ता है "राज",
घर मॆं बीबी सॆ बिगड़ कॆ बता ॥१०॥

    कवि-राज बुन्दॆली
     २३/०४/२०१२






Views: 809

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 29, 2012 at 11:09am

राज कुमारी जी,,,,,,,,,,धन्यवाद,,,,,,,,जैसी आपकी इच्छा,,,,,,,,,भेज दूंगा,,,,,,,,,,,,,,आभार आपका,,,,,,,,,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 28, 2012 at 1:02pm

raj bundeli ji ise guftgu prakashan me jaroor bhejiye ye ghazal apni alag hi chhaap chhodti hai.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 26, 2012 at 2:10am

वीनस भाई साहब,,,,मै बहुत छॊटा रचनाकार हूं,,,,,आप लोग महारथी है साहित्य के,,,,,फ़िर भी इस नाचीज को स्नेह मिला आपका मेरी मेहनत कामयाब हो गई ऎसा मानता हूं मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,बहुत बहुत आभार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by वीनस केसरी on April 25, 2012 at 11:29pm

सुन्दर कविता है राज बुन्देली जी

कविवर, यह आप ही कर सकते हैं कि जब मन में भाव आया उसे कागज़ पर उकेर दिया
यह भी ध्यान नहीं दिया कि आप प्लेटफार्म पर थे और यह भी नहीं कि किस विधा पर लिखना है बस जी लिख दिया तो लिख दिया

जय हो

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 25, 2012 at 2:18am

परम आदरणीय,,,,,

विद्वज जनो से करबद्ध अनुरोध है कि नीचे एक रचना है,,

इतनी रात गयॆ,,,

-------------------

इतनी रात गयॆ सपनॊं की नगरी मॆं, एकांकी आना ठीक नहीं ॥

आयॆ हॊ तॊ ठहरॊ रात गुज़रनॆ दॊ, अब वापस जाना ठीक नहीं ॥

इस रचना पर आपके विचार जानने को मिलेगे तो खुद को धन्य समझूंगा,,,,,,,,,,,,,धन्यवाद,,,,,,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 25, 2012 at 2:14am

PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA जी प्रणाम,,,,,आभारी हूं आपका,,,,,

छॊटॆ मुंह बड़ी बात,,,,,प्रथम से लेकर नौ तक ही कोशिश करिये,,,,,

दसवॆ अंतिम का अनुकरण मत करिये,,,नहीं तो खाना नहीं मिलेगा घर पर,,,,होटल मे खाना पड़ॆगा,,,,धन्यवाद,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 25, 2012 at 2:10am

परम आदरणीय,,सतीश मपतपुरी जी प्रणाम,,,,,,दर-असल यह रचना मुम्बई के एक प्लॆटफ़ार्म पर,,,

मुम्बई से पटना जाने वाली ट्रेन की भीड़ को देखकर वहीं प्लॆटफ़ार्म पर ही लिखी गई,,,

इसमे ज़िक्र ट्रेन से मतलब उस भीड़ के संदर्भ मे है,,,मेरे टूटॆ-फ़ूटॆ शब्दो को आपका आशीर्वाद मिला मै धन्य समझता हूं स्वयंको,,,आपका आभार,,,,,,,,,,धन्यवाद,,,,,,,,,,,,,,

Comment by satish mapatpuri on April 25, 2012 at 1:54am

हिम्मत है तॊ आगॆ बढ़ कॆ बता ॥

बिहार वाली ट्रॆन मॆं चढ़ कॆ बता

पहले इस हास्य - रचना पर ख़ाकसार का सलाम कुबूल करें .......... बिहार की ट्रेन में अब बहार है हुजुर ....... इस मनोरंजक रचना के लिए एक बार फिर से बधाई  कवि जी

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 24, 2012 at 10:34pm

बात बात पॆ बिगड़ता है "राज",
घर मॆं बीबी सॆ बिगड़ कॆ बता

aadarniya raaj ji, pahle sadar abhivadan swikar kijye. 

fir main aapko badhai deta hoon. 

rahi baat upar diye gaye kam karne ko , prayas kar sakta hoon par aapkaa 10 nambari bahut bhari hai, 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 24, 2012 at 8:13pm

आप सभी को सत-सत-नमन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई ग़ज़ल की उम्दा पेशकश के लिये आपको मुबारक बाद  पेश करता हूँ । ग़ज़ल पर आाई…"
yesterday
Ravi Shukla commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय अमीरूद्दीन जी उम्दा ग़ज़ल आपने पेश की है शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करे । हालांकि आस्तीन…"
yesterday
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय बृजेश जी ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिये बधाई स्वीकार करें ! मुझे रदीफ का रब्त इस ग़ज़ल मे…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह वाह आदरणीय  नीलेश जी उम्दा अशआर कहें मुबारक बाद कुबूल करें । हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service