आगॆ बढ़ कॆ बता,,,,
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हिम्मत है तॊ आगॆ बढ़ कॆ बता ॥
बिहार वाली ट्रॆन मॆं चढ़ कॆ बता ॥१॥
बिना टिकट गांव चला जायॆगा,
म.न.सॆ वालॊं सॆ झगड़ कॆ बता ॥२॥
अरबी- फ़ारसी झाड़ता है बहुत,
तू चायनीज़ गज़ल पढ़ कॆ बता ॥३॥
चॊर कह कॆ भिखारी कॊ पकड़ा,
वर्दी वाला चॊर तॊ पकड़ कॆ बता ॥४॥
भाव-बॆभाव डंडॆ पड़ॆंगॆ दॆख फिर,
उस सॆ भी जरा अकड़ कॆ बता ॥५॥
गरीब कॆ गाल पॆ तमाचा दिया,
अमीर कॆ गाल पॆ जड़ कॆ बता ॥६॥
भॆंड़ॊं कॆ सामनॆ मूंछॆं उमॆंठता है,
भॆड़ियॆ कॆ सामनॆ रगड़ कॆ बता ॥७॥
शायर समझ कॆ लड़ता क्या बॆ,
इरफ़ान दादा सॆ तॊ लड़ कॆ बता ॥८॥
खॊदता है खड्डा गैरॊं कॆ वास्तॆ,
खुद भी तॊ उसमॆं गड़ कॆ बता ॥९॥
बात बात पॆ बिगड़ता है "राज",
घर मॆं बीबी सॆ बिगड़ कॆ बता ॥१०॥
कवि-राज बुन्दॆली
२३/०४/२०१२
Comment
राज कुमारी जी,,,,,,,,,,धन्यवाद,,,,,,,,जैसी आपकी इच्छा,,,,,,,,,भेज दूंगा,,,,,,,,,,,,,,आभार आपका,,,,,,,,,
raj bundeli ji ise guftgu prakashan me jaroor bhejiye ye ghazal apni alag hi chhaap chhodti hai.
वीनस भाई साहब,,,,मै बहुत छॊटा रचनाकार हूं,,,,,आप लोग महारथी है साहित्य के,,,,,फ़िर भी इस नाचीज को स्नेह मिला आपका मेरी मेहनत कामयाब हो गई ऎसा मानता हूं मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,बहुत बहुत आभार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सुन्दर कविता है राज बुन्देली जी
कविवर, यह आप ही कर सकते हैं कि जब मन में भाव आया उसे कागज़ पर उकेर दिया
यह भी ध्यान नहीं दिया कि आप प्लेटफार्म पर थे और यह भी नहीं कि किस विधा पर लिखना है बस जी लिख दिया तो लिख दिया
जय हो
परम आदरणीय,,,,,
विद्वज जनो से करबद्ध अनुरोध है कि नीचे एक रचना है,,
इतनी रात गयॆ,,,
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इतनी रात गयॆ सपनॊं की नगरी मॆं, एकांकी आना ठीक नहीं ॥
आयॆ हॊ तॊ ठहरॊ रात गुज़रनॆ दॊ, अब वापस जाना ठीक नहीं ॥
इस रचना पर आपके विचार जानने को मिलेगे तो खुद को धन्य समझूंगा,,,,,,,,,,,,,धन्यवाद,,,,,,,,,,,,,,
PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA जी प्रणाम,,,,,आभारी हूं आपका,,,,,
छॊटॆ मुंह बड़ी बात,,,,,प्रथम से लेकर नौ तक ही कोशिश करिये,,,,,
दसवॆ अंतिम का अनुकरण मत करिये,,,नहीं तो खाना नहीं मिलेगा घर पर,,,,होटल मे खाना पड़ॆगा,,,,धन्यवाद,,,,,,
परम आदरणीय,,सतीश मपतपुरी जी प्रणाम,,,,,,दर-असल यह रचना मुम्बई के एक प्लॆटफ़ार्म पर,,,
मुम्बई से पटना जाने वाली ट्रेन की भीड़ को देखकर वहीं प्लॆटफ़ार्म पर ही लिखी गई,,,
इसमे ज़िक्र ट्रेन से मतलब उस भीड़ के संदर्भ मे है,,,मेरे टूटॆ-फ़ूटॆ शब्दो को आपका आशीर्वाद मिला मै धन्य समझता हूं स्वयंको,,,आपका आभार,,,,,,,,,,धन्यवाद,,,,,,,,,,,,,,
हिम्मत है तॊ आगॆ बढ़ कॆ बता ॥
बिहार वाली ट्रॆन मॆं चढ़ कॆ बता
पहले इस हास्य - रचना पर ख़ाकसार का सलाम कुबूल करें .......... बिहार की ट्रेन में अब बहार है हुजुर ....... इस मनोरंजक रचना के लिए एक बार फिर से बधाई कवि जी
बात बात पॆ बिगड़ता है "राज",
घर मॆं बीबी सॆ बिगड़ कॆ बता
aadarniya raaj ji, pahle sadar abhivadan swikar kijye.
fir main aapko badhai deta hoon.
rahi baat upar diye gaye kam karne ko , prayas kar sakta hoon par aapkaa 10 nambari bahut bhari hai,
आप सभी को सत-सत-नमन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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