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कुछ खरी-खरी 

(१)
घर के बीच खिंच रही दीवार 
बुजुर्गों के दिलों में पड़ी दरार  
कैसा दर्दनाक मंजर है किसे देखूं |
(२)
तेरे इस गूंगे घर से तो 
खंडहर  ही बेहतर हैं 
वहां कम से कम पत्थर तो बाते करते हैं |
(३)
तुम लाये हो इक बवंडर छिपा के अपने सीने में 
एक बार तो ये सोचा होता 
ताश के पत्तों से बना है मेरा घर|
(४)
बड़ी हसरतों से जमा किये थे शबनम के मोती 
स्वर्ण रथ पर आया लुटेरा 
सब चुरा के ले गया |
(५)
मेरे अपने ही फूलों ने 
झुका दिया इस डाली को 
वर्ना मेरी गर्दन ने कभी झुकना नहीं सीखा |
(६)
खुद को जलाकर जग को देते हो उजाला 
फिर भी एक नजर तुझे कोई देखना नहीं चाहता  
कोई तुझसा बेचारा नहीं देखा | 
(७)
ऐ तितली जरा संभल के उड़ना 
घात में बैठे है कांटे फूलों की आड़ में 
चीर देंगे तेरे कोमल पर 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 30, 2012 at 2:11pm

महिमा जी बहुत सुखद प्रतिक्रिया दी है आपने आभारी हूँ 

Comment by MAHIMA SHREE on April 30, 2012 at 1:42pm
तुम लाये हो इक बवंडर छिपा के अपने सीने में
एक बार तो ये सोचा होता
ताश के पत्तों से बना है मेरा घर|
आदरणीया राजेश दी , नमस्कार
लाजवाब है ..........आपकी कुछ खड़ी खड़ी .......
बधाई स्वीकार करें

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 30, 2012 at 1:08pm
  
शलेन्द्र कुमार जी हार्दिक आभार खरी खरी की सराहना हेतु  
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 30, 2012 at 12:31pm

सुन्दर सशक्त रचना आदरणीया  राजेश कुमारी मैम  हार्दिक बधाई इस रचना के लिए


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 29, 2012 at 5:35pm

बहुत बहुत शुक्रिया प्रदीप कुमार कुशवाह जी 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 29, 2012 at 2:22pm

तेरे इस गूंगे घर से तो खंडहर ही बेहतर हैं वहां कम से कम पत्थर तो बाते करते हैं |

bahut khoob kaha aapne. badhai. aadarniya mahodaya ji saadar abhivadan ke saath.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 29, 2012 at 8:26am

सुरेंदर कुमार शुक्ल जी सराहना के लिए हरदे से आभारी हूँ 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 28, 2012 at 4:33pm
ऐ तितली जरा संभल के उड़ना 
घात में बैठे है कांटे फूलों की आड़ में 
चीर देंगे तेरे कोमल पर 
तेरे इस गूंगे घर से तो 
खंडहर  ही बेहतर हैं 
वहां कम से कम पत्थर तो बाते करते हैं |
आदरणीया राजेश कुमारी जी ..बहुत सुन्दर जज्बात और सटीक ..सचेत करते हुए .....जय श्री राधे ..भ्रमर ५ 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 27, 2012 at 9:54pm

बहुत हार्दिक    आभार प्राची जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 27, 2012 at 3:38pm


अम्बरीश जी आपकी अमूल्य टिपण्णी सर आँखों पर 

कृपया ध्यान दे...

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